Lucknow : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के बाहुबली अतीक अहमद इस बार चुनावी मैदान में नजर नहीं आ रहे हैं. वर्तमान में पूर्व सांसद अतीक अहमद गुजरात की जेल में बंद हैं. जान लें कि 1989 से 2017 तक अतीक अहमद और उनके परिवार के लोग प्रयागराज से चुनाव मैदान में उतरते रहे थे. तीन दशक में पहली बार है जब न तो खुद अतीक अहमद चुनाव में उतरे हैं और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य. बता दें कि प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) एक समय में अतीक अहमद का गढ़ माना जाता था. 1
989 में अतीक अहमद प्रयागराज पश्चिम सीट से निर्दलीय चुनाव जीत कर चर्चा में आये. इसके बाद वह सपा, अपना दल के टिकट पर जीत कर विधानसभा और संसद पहुंचते रहे. फूलपुर से सांसद बनने के बाद इस सीट पर भाई अशरफ को चुनाव लड़वाया और बाद में विधायक भी बनाया.
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मायावती ने अतीक अहमद की जबरदस्त नकेल कस दी
मायावती के सत्ता में आने के बाद अतीक अहमद की जबरदस्त नकेल कसी गयी. 2017 में योगी आदित्यनाथ ने उनके सियासी सम्राज्य को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया. सपा ने भी घास नहीं डाली. अतीक अहमद से पूरी तरह दर किनारा कर दिया. इसके बाद अतीक अहमद ने पूरे परिवार के साथ ओवैसी की पार्टी का दामन थाम लिया.
गुजरात की जेल में बंद अतीक अहमद और पत्नी शाइस्ता परवीन ने पिछले साल प्रयागराज में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन की सदस्यता ली थी. प्रयागराज के अटाला में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने जनसभा कर शाइस्ता परवीन को शहर पश्चिमी सीट से उम्मीदवार भी घोषित कर दिया था, लेकिन उनके चुनाव लड़ने को लेकर मंगलवार को विराम लग गया. उन्होंने नामांकन नहीं किया.
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अतीक अहमद जेल में हैं और उनके दोनों बेटे फरार हैं
अतीक अहमद जेल में हैं और उनके दोनों बेटे फरार हैं. इस कारण अतीक अहमद की पत्नी ने मैदान छोड़ दिया. ओवैसी के पार्टी से उम्मीदवार घोषित होने के बाद स्थितियां बदलती गयी. पिछले वर्ष शाइस्ता परवीन के छोटे पुत्र अली के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. इसके बाद वह फरार हो गया. एआईएमआईएम नेता लगातार यह कहते रहे हैं कि अतीक अहमद की पत्नी चुनाव लड़ेंगी, लेकिन नामांकन के अंतिम दिन आठ फरवरी को भी वो अपना पर्चा दाखिल नहीं कर सकीं. इससे तय हो गया कि उन्होंने मैदान छोड़ दिया.
58 सीटों पर गुरुवार को वोटिंग होनी है
ऐसे में 33 साल में पहली बार है जब अतीक के परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव नहीं लड़ रहा है. अतीक अहमद की राजनीतिक विरासत बिल्कुल खत्म हो चुकी है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए 58 सीटों पर गुरुवार को वोटिंग होनी है. पहले चरण का चुनाव पश्चिमी यूपी से हो रहा है, जो मुस्लिम बहुल माना जाता है. मुस्लिम वोटों के बंटने या बिखरने से सियासी दिग्गज नेता की किस्मत भी तय होगी.