Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्ययाधीश जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की कोर्ट में वित्त पदाधिकारी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई.सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि जब यह मामला कोर्ट में लंबित था, तो विश्वविद्यालय को जांच कमेटी बनाने की क्या जरूरत थी? मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस मामले में विनोबा भावे विवि के कुलपति और रजिस्ट्रार का कार्य कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है. सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखते हुए प्रार्थी की अपील को खारिज कर दिया.
बता दें कि वित्त पदाधिकारी नियुक्ति के संबंध में निशांत कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए जेपीएससी की अनुशंसा को चुनौती दी थी. सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर कहा गया कि जेपीएससी ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय में वित्तीय पदाधिकारी की नियुक्ति के लिए विकास कुमार की अनुशंसा की है, जबकि उनके पास शैक्षणिक योग्यता नहीं है.
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जेपीएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल व प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि विकास कुमार की शैक्षणिक योग्यता सही पाए जाने पर ही उनके नियुक्ति की अनुशंसा की गई है, और उनकी नियुक्ति में सभी बातों का ध्यान रखा गया है. विश्वविद्यालय ने इस मामले में जांच कमेटी का गठन किया था, जिसमें विकास कुमार की शैक्षणिक योग्यता को सही पाया गया है. सभी पक्षों की दलीलें और बहस सुनने के बाद कोर्ट ने प्रार्थी की अपील को खारिज कर दिया.