NewDelhi : जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंसा से जुड़े मामले में आज शनिवार को एक स्थानीय अदालत ने शरजील इमाम, सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा और आठ अन्य आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट का कहना था कि दिल्ली पुलिस हिंसा के असली गुनहगारोंको पकड़ने में नाकाम रही. अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस ने इन आरोपियों को बलि का बकरा जरूर बना दिया.
Delhi’s Saket court discharges Sharjeel Imam in Jamia Violence case registered in 2019.
Violence erupted after a clash between people protesting against Citizenship Amendment Act and police. Sharjeel was granted bail in 2021.
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— ANI (@ANI) February 4, 2023
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पुलिस ने जिसे भी चाहा उसे गिरफ्तार कर लिया
बता दें कि अभियोजन पक्ष को फटकार लगाते हुए ऐडिशनल सेशंस जज अरुल वर्मा ने कहा कि पुलिस ने मनमाने तरीके से, प्रदर्शनकारी भीड़ में से जिसे भी चाहा उसे गिरफ्तार कर लिया. कोर्ट के अनुसार कुछ को आरोपी बनाया गया. बाकी को पुलिस का गवाह बनाया गया. कोर्ट ने माना कि सिर्फ धरना-स्थल पर मौजूदगी होने से कोई आरोपी नहीं बन सकता. अदालत का मानना था कि अभियोजन उनके (आरोपियों) पीछे पड़ गया है.
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मोहम्मद इलयास के खिलाफ आरोप तय किये
कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन लोगों को लंबे समय तक ट्रायल से गुजारना देश की न्याय व्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीं हैं. हालांकि, अदालत ने मोहम्मद इलयास नाम के खिलाफ आरोप तय किये. यह मामला जामिया मिलिया इस्लामिया में दिसंबर 2019 में हुई हिंसा से जुड़ा हुआ है
हालांकि बरी होने के बावजूद शरजील इमाम अभी जेल से नहीं निकल पायेंगे. शरजीम के खिलाफ 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में भी कई FIRs दर्ज हैं
दिल्ली पुलिस नये सबूत नहीं पेश कर सकी
दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद इलयास के खिलाफ 21 अप्रैल, 2020 को चार्जशीट दायर की थी. 11 अन्य आरोपियों के खिलाफ एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दाखिल की गयी थी. इस मामले में तीसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट 1 फरवरी, 2023 को फाइल हुई. अभियोजन पक्ष ने यह साबित करने की कोशिश की कि गवाहों ने कुछ तस्वीरों के आधार पर आरोपियों की पहचान की है. लेकिन जज ने कहा कि दिल्ली पुलिस नये सबूत पेश करने में विफल रही. कहा कि ऐसा कोई चश्मदीद गवाह नहीं है जो पुलिस के दावे पर मुहर लगाये.