NewDelhi : कांग्रेस द्वारा संकेत दिये गये हैं कि जिन राज्यों में उसकी सरकार है, वहां संशोधन के जरिए जमानत कानून को और उदार बनाया जायेगा. जान लें कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा था कि जमानत के मामलों को सरल बनाने के लिए अलग जमानत कानून बनाने पर विचार किया जाना चाहिए. SC की इस टिप्पणी के बाद केंद्र की मोदी सरकार का रुख अभी सामने नहीं आया है, लेकिन मंगलवार को कांग्रेस ने संकेत दिया कि पार्टी शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में जमानत कानून में संशोधन लाया जा सकता है.
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कांग्रेस SC के विचार को आवश्यक मार्गदर्शन मान रही है
कांग्रेस जमानत कानून को उदार बनाने की कवायद में जुट गयी है. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया कि भगवा पार्टी भय और नियंत्रण के जरिए देश में शासन करने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के विचार को बहुत आवश्यक मार्गदर्शन मान रही है. .
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि कि देश में पिछले सात सालों में सामान्य आधारों पर भी राजद्रोह, यूएपीए आदि जैसे प्रावधानों की गंभीर कार्रवाई देखी है. आरोप लगाया कि केंद्र और कई राज्यों में भाजपा की सरकारें इस मामले में सबसे आगे रही हैं.
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संविधान के दायरे में रहकर कांग्रेस कानून को उदार बनायेगी
सिंघवी के अनुसार कांग्रेस शासित राज्य निश्चित रूप से अपने संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत संशोधन अधिनियमित कर सकते हैं. कहा कि यह मानत कानून को उदार बनाने में सहायक होंगे. इस क्रम में सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस इरादा रखती है कि संविधान के दायरे में रहकर कांग्रेस शासित राज्यों में SC के दिशानिर्देशों के तहत इस कानून को उदार बनाया जाये.
जान लें कि अभिषेक सिंघवी ने मोदी सरकार पर न्यायपालिका को डराने, उसके कामकाज में दखल देने और उसके फैसलों को प्रभावित करने का भी आरोप लगाया है.
कैदी को लगातार जेल में रखना और बाद में बरी कर देना उसके प्रति गंभीर अन्याय
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार,11 जुलाई को टिप्पणी की थी कि किसी कैदी को लगातार जेल में रखना और फिर बाद में बरी कर देना उसके प्रति गंभीर अन्याय है. SC ने केंद्र सरकार से कहा कि जमानत के मामलों को और सरल बनाने के लिए अलग से जमानत कानून बनाने पर विचार चाहिए.
मालूम हो कि देशभर की जेलों में कैदियों की संख्या और इनमें भी दो तिहाई से अधिक विचाराधीन कैदी होने के मद्देनजर देश की SC ने केंद्र सरकार से यह सिफारिश की है. सुप्रीम कोर्ट केअनुसार अगर नियम विशेष रूप से मना न करते हों तो दो सप्ताह में जमानत की याचिकाओं पर फैसला और छह सप्ताह में अग्रिम जमानत की याचिकाओं पर फैसला लिया जाना चाहिए.