Kiriburu: सारंडा वन क्षेत्र के छोटानागरा पंचायत के तमाम गांवों में बाईहातु जल मीनार से लाल पानी की आपूर्ति से ग्रामीणों में भारी रोष है. ऐसा बीते दिनों हुई बारिश के बाद होना शुरू हुआ है. बारिश के कारण खदानों से लाल मिट्टी-मुरुम बहकर कोयना नदी में मिल रहा है, जिससे इस नदी का पानी पूरी तरह लाल हो चुका है. इसी नदी का पानी फिल्टर कर गांवों में दिया जाता है.
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पानी इतना लाल कि पूरी तरह फिल्टर कर पाना संभव नहीं
बाईहातु जलमीनार के कर्मचारियों ने लाल पानी सप्लाई करने के सवाल पर बताया की नदी का पानी इतना लाल है कि उसे पूरी तरह फिल्टर कर पाना संभव नहीं हो रहा है. इसी वजह से ऐसे पानी की आपूर्ति की जा रही है. उल्लेखनीय है कि छोटानागरा पंचायत के 10 गांवों के अलावे उक्त नदी के किनारे बसे मनोहरपुर तक के गांवों के हजारों ग्रामीण ऐसा लाल पानी पीने को मजबूर हैं. जिसको लेकर खदान प्रबंधन, सरकार व प्रशासन गंभीर नहीं है.
टीएसएलपीएल के खदान प्रबंधन से ग्रामीण नाराज
इस मामले को लेकर सारंडा पीढ़ के मानकी लागुडा़ देवगम, जामकुंडिया के मुंडा कुशु देवगम, राजाबेडा़ के मुंडा जामदेव चाम्पिया, जोजोगुटू के मुंडा कानूराम देवगम, बामिया सुरीन, शंकर सोरेन, बीजराज होनहागा, लालू चाम्पिया आदि ने कहा कि बराईबुरु स्थित टीएसएलपीएल के खदान से बहकर निरंतर आने वाले वाली लाल मिट्टी-मुरुम कोयना नदी की पानी को पूरी तरह से दूषित कर लाल कर रही है. कुछ माह पूर्व हीं उक्त खदान का लाखों टन फाइन्स चेकडैम टूटने से बहकर नदी-नालों में आ गया था. यह सिलसिला अभी भी जारी है जिसे रोक पाने में कंपनी प्रबंधन नाकाम साबित हो रहा है. उन्होंने कहा कि टीएसएलपीएल कंपनी नदी-नालों को प्रदूषित कर हम ग्रामीणों को बीमार करने में लगी है. जबकि टाटा स्टील का नोवामुंडी खादान प्रबंधन अपने क्षेत्र के ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करता है कि टाटा स्टील की यह कंपनी चिकित्सा सुविधा की बात तो दूर खदान से प्रभावित गांवों के बेरोजगारों के रोजगार, गांव के विकास आदि का भी कार्य नहीं कर रही है.
कंपनी पर समझौते का पालन नहीं करने का आरोप
इन लोगों ने चेतावनी दी है कि जल्द हीं टीएसएलपीएल (टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट लिमिटेड) के खिलाफ आरपार की लडा़ई लड़ते हुए खदान से लौह अयस्क की ढुलाई को ठप किया जाएगा. मानकी लागुडा़ देवगम ने कहा कि टीएसएलपीएल कंपनी के साथ विभिन्न मांगों के समाधान हेतु किरीबुरु के एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर की अध्यक्षता में त्रिपक्षीय समझौता वार्ता हुआ था लेकिन समझौते का पालन आज तक कंपनी ने नहीं किया.
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