NewDelhi : रेवड़ी कल्चर का मुद्दा इन दिनों राजनीतिक दलों सहित देश भर में गरमाया हुआ है. सुप्रीम कोर्ट में रेवड़ी कल्चर यानी फ्रीबीज पर रोक की मांग को लेकर सुनवाई चल रही है. इसी बीच आरएलडी चीफ व राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी ने सीजेआई पर ही सवाल खड़े कर दिये हैं. जयंत चौधरी ने ट्वीट कर पूछा लिया है कि भारत के माननीय चीफ जस्टिस को कौन-कौन सी फ्रीबीज मिलती हैं. बता दें कि जयंत चौधरी ने रेवड़ी कल्चर को लेकर लगातार कई ट्वीट किये हैं. उन्होंने एक ट्वीट में पीएम मोदी से पूछ लिया है कि प्रधानमंत्री जी को बताना चाहिए क्या अग्निपथ भी रेवड़ी नहीं है?’
It’s a secret chaudhary sahab… 🤫🤫
— Poras (@JAT_Poras) August 11, 2022
प्रधानमंत्री जी को बताना चाहिए क्या #अग्निपथ भी रेवड़ी नहीं है?
— Jayant Singh (@jayantrld) August 11, 2022
इसे भी पढ़ें : कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकवादियों ने बिहारी मजदूर की गोली मारकर हत्या कर दी
सुप्रीम कोर्ट में फ्रीबीज के खिलाफ याचिका दायर की गयी है.
जान लें कि सुप्रीम कोर्ट में फ्रीबीज के खिलाफ याचिका दायर की गयी है. इसमें चुनाव से पहले वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त का वादा करने वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गया है. इस याचिका पर सुनवाई के क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा उपहार का वादा करना और उसे मुफ्त बांटने को गंभीर मुद्दा करार दिया था. माना था कि इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है. बता दें पीएम मोदी इन दिनों रेवड़ा कल्चर को लेकर विपक्षी दलों पर लगातार निशाना साध रहे हैं.
हमने सभी वादे घोषणापत्र में शामिल किये
इसे भी पढ़ें : America : डोनाल्ड ट्रम्प के आवास पर रेड को लेकर बड़ा खुलासा, न्यूक्लियर दस्तावेजों की तलाश करने पहुंची थी FBI
वादों को घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बनाया जाता
जयंत चौधरी ने ट्वीट कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने सीजेआई को बताया कि चुनाव के दौरान किये गये ज्यादातर वादों को घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बनाया जाता. कहा कि यह भाजपा के लिए सही हो सकता है, लेकिन हमारे लिए नहीं है. चौधरी ने कहा कि विधानसभा चुनाव में हमने रैलियों में किये गये सभी वादों को घोषणा पत्र में शामिल किया था.
राज्यसभा सांसद ने कहा, जब पार्टियां घोषणापत्र घोषित किये बिना चुनाव प्रचार शुरू करती हैं, तभी ये समस्याएं पैदा होती हैं. हमने विशेषज्ञ और सार्वजनिक प्रतिक्रिया पर आधारित एक घोषणापत्र समय पर जारी किया था, ताकि मतदाता प्रमुख मुद्दों को समझ सकें.
चौधरी का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी काफी साहसिक नजर आती है लेकिन यह सही भावना में नहीं है! समाज के निचले हिस्से को सीधे हस्तक्षेप की आवश्यकता है चाहे वह राशन में हो या वित्तीय सहायता के माध्यम से. कहा कि यह जीवन के अधिकार सहित मौलिक अधिकारों के संरक्षण से संबंधित है!.