Guwahati : हम उस व्यवस्था के खिलाफ हैं, जहां मुस्लिम लड़कियां स्कूल में नहीं पढ़ सकती और मुस्लिम पुरुष 2-3 महिलाओं से शादी करते हैं. इस तरह की व्यवस्था बदलनी होगी. हम सबका साथ सबका विकास चाहते है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा गुरुवार को मोरीगांव में बोल रहे थे. CM ने कहा कि हम सबका साथ सबका विकास को आगे लाने की कोशिश कर रहे हैं. हम नहीं चाहते कि पोमुवा (बांग्लादेश के बांग्ला भाषी मुसलमान) मुस्लिम छात्र मदरसों में पढ़कर जुनाब, इमाम बनें. हम चाहते हैं कि वे स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ें. हिमंत बिस्व सरमा ने यह कहते हुए लोकसभा सांसद और एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल के बयान पर पलटवार किया.
Morigaon, Assam | Muslim girls can’t study in school and Muslim men will marry 2-3 women, we are against this system. We want ‘Sabka Saath Sabka Vikas’: CM HB Sarma (08.12) pic.twitter.com/4uykM5jDMt
— ANI (@ANI) December 9, 2022
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हम मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए काम करेंगे
एआईयूडीएफ (AIUDF) प्रमुख की कथित सलाह के अनुसार महिलाएं 20-25 बच्चे पैदा कर सकती हैं लेकिन उनके भविष्य में भोजन, कपड़े और शिक्षा पर होने वाला सारा खर्च धुबरी के सांसद बदरुद्दीन को वहन करना होगा. मुख्यमंत्री सरमा का कहना था कि आजाद भारत में रहने वाले पुरुषों को बिना पूर्व पति को तलाक दिये तीन-चार स्त्रियों से विवाह करने का कोई अधिकार नहीं है, हम ऐसी व्यवस्था बदलना चाहते हैं. हम मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए काम करेंगे
असमिया हिंदू परिवारों से लोग डॉक्टर बनते हैं
सरमा के अनुसार अगर असमिया हिंदू परिवारों से लोग डॉक्टर बनते हैं तो फिर मुस्लिम परिवारों से भी डॉक्टर होने चाहिए. इस क्रम में उन्होंने कहा कि कई विधायक इस तरह की सलाह इसलिए नहीं देते क्योंकि उन्हें पोमुवा मुसलमानों के वोट का लालच रहता है. बता दें कि असम के (करीमगंज) सांसद बदरुद्दीन ने कहा था कि मुसलमानों की तरह हिंदुओं को भी बच्चों के मामले में फॉर्मूला अपनाना चाहिए. उन्हें बच्चों की कम उम्र में ही शादी करनी चाहिए. कहा था कि हिंदू शादी से पहले एक, दो या तीन अवैध पत्नियां रखते हैं. लेकिन बच्चे पैदा नहीं करते पैसा बचाते हैं. हालांकि बाद में उन्होंने माफी मांग ली थी.