Lagatardesk : फेसबुक के स्वामित्व वाली इंस्टेंट मैसेजिंग कंपनी Whatsapp के सीईओ ने भारत के नये आईटी नियम को लेकर बड़ा बयान दिया है. टेक्नोलॉजी पब्लिकेशन द वर्ज के साथ इंटरव्यू में विल कैथकार्ट ने भारत के नये आईटी नियम में ट्रैसेबिलिटी क्लॉज पर अपनी बात रखी. विल कैथकार्ट ने कहा कि भारत में Whatsapp यूजर्स को जो एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन दी गयी है, वो उनके सुरक्षा को कमजोर करता है.
एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन में आपकी बात नहीं रहती पर्सनल
कैथकार्ट ने कहा कि भारत में आईटी नियमों के साथ यूजर्स की निजता खत्म हो जाती है. उन नियमों की विशिष्ट बात यह है कि अगर हम कुछ सिस्टम बनाते हैं और अगर कोई कहता है कि किसी ने ये ‘XYZ’ कहा. एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन में XYZ शब्द कहने वाला पहला व्यक्ति कौन है, यह निजी नहीं रहता है. यानी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन आपकी उस सुरक्षा को कमजोर करता है. व्हाट्सएप ने रिवाइज्ड इंफॉर्मेसन टेक्नोलॉजी नियम, 2021 को चुनौती देते हुए कहा है कि यूजर्स की गोपनीयता उसके डीएनए में है. चैट को “ट्रेस” करने के लिए मैसेजिंग एप की आवश्यकता लोगों के निजता के अधिकार को कमजोर करती है.
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26 मई को व्हाट्सएप ने दायर की थी याचिका
आपको बता दें कि 26 मई को व्हाट्सएप ने दिल्ली हाई कोर्ट में आईटी नियमों के खिलाफ मुकदमा दायर की थी. समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, मैसेजिंग एप के एक प्रवक्ता ने कहा कि चैट को “ट्रेस” करने के लिए मैसेजिंग एप की आवश्यकता होती है. यह व्हाट्सएप पर भेजे गये हर मैसेज पर फिंगरप्रिंट रखने के बराबर है.
कैथकार्ट ने आईटी नियम को लेकर दिया बयान
कैथकार्ट से जब पूछा गया कि यह कदम राजनीतिक है या नहीं और क्या यह केवल भारत तक ही सीमित है. इस सवाल का जवाब देते हुए कैथकार्ट ने कहा कि मुझे लगता है कि यह एक राजनीतिक और टेक्निकल सवाल है. कैथकार्ट ने अपने बयान में कहा कि जिस तरह से नयी आईटी नियम लिखे गये हैं. इससे तो यह पता चलता है कि वे इस नियम को केवल भारत के लोगों पर लागू करना चाहते हैं.
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सीईओ ने इस नियम को लेकर जताई चिंता
Whatsapp के सीईओ ने चिंता जताई कि अन्य देश भी इसको फॉलो कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ देश दूसरे देश को ऐसा करते देखते हैं तो वो भी इसको फॉलो करना चाहते हैं. सितंबर में इकोनॉमिक टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी थी. उस रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने ट्रेसबिलिटी के पक्ष में अपनी स्थिति पर जोर दिया है. सरकार ने स्पष्ट किया था कि ट्रेसेबिलिटी का एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ने से कोई मतलब नहीं है. ट्रेसबिलिटी की आवश्यकता पर जोर देते हुए सरकार ने कहा कि यह मान लेना संभव है कि देश में राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था की पूरा आवश्यकता है.
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