Apoorv Bhardwaj
अमेरिका में 50-50 का चुनाव चल रहा है. अमेरिका में हर वर्ग, नस्ल, लिंग और पूरा समाज दो हिस्सों में बंट गया है. इस चुनाव को जीतने के लिए बाइडेन को 6 इलेक्ट्रल वोट चाहिए और वो नेवेडा को जीतकर इस ऐतिहासिक चुनाव को जीत सकते हैं.
वर्ष 2016 में 60.1% की तुलना में 66.9% ज्यादा मतदान हुआ है.जो वर्ष 1900 के बाद सबसे ज्यादा है. कोरोना के कारण इस बार 6.5 करोड़ वोट पोस्टल बैलेट से डाले गये हैं. जिनका अधिकांश वोट बाइडेन को जा रहा है. जार्ज फ्लॉयड की मौत के कारण अफ्रीकी मूल के अमरीकियों के 13 फ़ीसदी वोट में से 87% से ज्यादा बाइडेन को गया है. कम पढे-लिखे और रूरल इलाकों में ट्रंप को बढ़त है.कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाना एक बहुत बढ़िया कदम साबित हो रहा है. कमला हैरिस कैलीफोर्निया से सांसद हैं. जिसके कारण सबसे ज्यादा इलेक्ट्रल वोट वाले राज्य कैलीफोर्निया में बाइडेन को 63% वोट मिला है. अर्थव्यवस्था बहुत बड़ा मुद्दा बना औऱ पोस्टल बैलेट वालों के लिए कोरोना में लापरवाही बहुत बड़ा मुद्दा है.
भारत समेत एशिया के प्रवासी औऱ लैटिन अमेरिका के लोगों ने डेमोक्रेट्स को वोट दिया. जिसके कारण बिडेन ने मिशिगन को जीत लिया है. जिसे ट्रंप ने वर्ष 2016 में जीता था. 56 फीसदी श्वेत लोगों ने ट्रंप को मतदान किया है. जैसे मतदाताओं की आयु बढ़ रही थी. बाइडेन की वोट घटती रही है. बुजुर्ग बाइडेन को युवाओँ ने सबसे ज्यादा वोट दिया है.
फ्लोरिडा में ट्रंप जीत गए हैं. पेंसिल्वेनिया में वो आगे चल रहे हैं. हाऊडी मोदी वाले टेक्सास में ट्रम्प जीत गए हैं. स्विंग स्टेट जैसे जॉर्जिया, एरिजोना और पेंसिल्वेनिया में कड़ा संघर्ष चल रहा है. जो यह तीनों राज्य जीत लेगा वो राष्ट्रपति पद के बहुत करीब होगा. लेकिन मिशिगन जीतकर बाइडन ने अपने अवसर बढ़ा लिये हैं.
वर्ष 2000 के बाद यह सबसे ज्यादा दिलचस्प चुनाव है. अलगोर और बुश के मुकाबले के कांटाजोड़ मुकाबले में यही हालात पैदा हो गए थे. तब सुप्रीम कोर्ट के आदेश और रिकॉउंटिंग के बाद बुश ने फ्लोरिडा को केवल 537 वोट ज्यादा लेकर जीता और राष्ट्रपति बने तो क्या इस बार मुकाबला वहां तक पहुंचेगा.
आपको वर्ष 2011 का क्रिकेट विश्वकप तो याद होगा. जब धोनी ने छक्का मार कर विश्व कप जीत लिया था. क्या बाइडेन नेवडा में छक्का मारकर विश्व विजेता बनेंगे.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.