LagatarDesk : आम जनता को बढ़ती महंगाई से थोड़ी राहत मिलती दिखाई दे रही है. जनवरी में थोक महंगाई दर (होलसेल प्राइस इंडेक्स) घटकर 12.96 फीसदी पर आ गयी है. दिसंबर में थोक महंगाई दर 13.56 फीसदी और नवंबर में 14.87 फीसदी पर रही थी. यह लगातार दसवां महीना है जब थोक महंगाई की दर डबल डिजिट में रही है.
खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने से बढ़ी महंगाई
जनवरी 2022 में खाने के तेल, मिनरल ऑयल, क्रूड और गैस के साथ पेट्रोलियम उत्पाद के दामों में जबरदस्त इजाफा देखा गया. बेसिक मेटल्स, कैमिकल्स और कैमिकल्स प्रोडक्ट्स के साथ फूड आर्टिकल्स के दाम में भी बढ़त दर्ज की गयी. जिसके कारण थोक महंगाई दर पिछले साल के मुकाबले जोरदार तेजी देखी गयी.
Wholesale inflation fell to 12.96% (Provisional) in January 2022 from 14.87% in November 2021 and 13.56% in December 2021 pic.twitter.com/xzklKv6BT7
— ANI (@ANI) February 14, 2022
सब्जियों और फलों के दामों में बेतहाशा इजाफा
जनवरी 2022 में खाद्य पदार्थों में मुद्रास्फीति बढ़कर 10.33 फीसदी हो गयी. जो दिसंबर 2021 में 9.56 फीसदी थी. सब्जियों की कीमतों में 38.45 फीसदी का इजाफा हुआ. जो पिछले महीने 31.56 फीसदी थी. हालांकि खाद्य पदार्थों में मुद्रास्फीति 10.33 फीसदी हो गयी. जो पहले 9.56 प्रतिशत थी.
ईंधन और बिजली के दामों में भी हुआ इजाफा
आंकड़ों के अनुसार, दालों, अनाज और धान की मुद्रास्फीति माह-दर-माह आधार पर बढ़ी. जनवरी में अंडा, मांस और मछली की मुद्रास्फीति 9.85 प्रतिशत रही. ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति जनवरी में 133.2 हो गयी. जो दिसंबर में 128.2 थी. दिसंबर के मुकाबले जनवरी में बिजली (15.94 फीसदी) और खनिज तेल (0.83 फीसदी) के दाम बढ़े.
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आलू और प्याज के दाम जनवरी में हुए कम
जनवरी माह में कोयले की कीमतें अपरिवर्तित रहीं. दूसरी ओर आलू के दाम इस माह के दौरान 14.45 प्रतिशत और प्याज के 15.98 प्रतिशत कम हुए. इसके अलावा विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर 9.42 प्रतिशत पर आ गयी. दिसंबर 2021 में यह 10.62 प्रतिशत थी.
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एक साल पहले 2.5 फीसदी पर थी थोक महंगाई दर
आकंड़ों के अनुसार, जनवरी 2021 में थोक महंगाई दर का आंकड़ा काफी नीचे था. जनवरी 2021 में थोक महंगाई दर सूचकांक आधारित डब्ल्यूपीआई इंफ्लेशन 2.51 फीसदी पर थी. इस तरह देखा जाये तो सालाना आधार पर थोक महंगाई दर में जोरदार इजाफा देखा गया है. एक साल पहले की तुलना में थोक महंगाई दर में 10.45 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
डब्ल्यूपीआई इंडेक्स बढ़ने से आम लोगों पर पड़ता है असर
थोक मूल्य सूचकांक आधारित डब्ल्यूपीआई इंडेक्स बढ़ने से आम लोगों पर काफी असर पड़ता है. डब्ल्यूपीआई इंडेक्स बढ़ने से सामानों की सप्लाई महंगी हो जाती है. जिससे सामानों कीमतें बढ़ जाती है. डब्ल्यूपीआई का अर्थ होलसेल प्राइस इंडेक्स है. यह ऐसा इंडेक्स है जिस पर थोक सामानों की कीमतों का पता चलता है.
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