Pravin kumar
Ranchi: चांडिल डैम का पानी किसानों को मिले या ना मिले, लेकिन कई कंपनियां इस पानी से फील गुड महसूस कर रही है. कंपनियों के फील गुड का मामला वर्तमान सरकार ही नहीं पूर्व की सरकारों में भी रहा है. कंपनियों के द्वारा जल कर का भुगतान नहीं किया जा रहा है. बकायेदारों की फेहरिस्त में कई नामी-गिरामी कंपनियां है. इन बकायेदारों की सूची में पहला नाम टाटा स्टील लिमिटेड का है. अप्रैल 2022 तक जलकर के रूप में 963 करोड़ 19 लाख 59 हजार बकाया है. विभिन्न कंपनियों से जल कर के रूप में सरकार की लेनदारी 1358 करोड़ 16 लाख की है. यह बकाया जल संसाधन विभाग झारखंड सरकार के वर्तमान वित्तीय वर्ष के बजट 1093.80 करोड़ से भी अधिक है.
गौरतलब हो कि स्वर्णरेखा बहुद्देशीय योजना के तहत चांडिल डैम का 1978 से निर्माण शुरू किया गया था. निर्माण के 30 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इलाके के किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है. चांडिल डैम के पानी का उपयोग इलाके की कंपनियां कर रही है. सरकार के द्वारा चांडिल डैम का पानी कंपनियां को डैम निर्माण के बाद से ही दिया जा रहा है. वर्तमान समय में कंपनियों के लिये 1 अप्रैल 2021 का दर ही प्रभावी है. इसके आनुसार 54.41 रुपये प्रति हजार गैलन है.
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कंपनियों को दिये जा रहे पानी का कब क्या रहा दर
चांडिल डैम से कंपनियों को दिये जा रहे पानी का दर समय-समय पर निर्धारण होता रहा है. वर्ष 2011 के पहले 4.50 रुपए प्रति हजार गैलन निर्धारित था. 2013 में इसे संशोधित करते हुए 26.4 रुपये प्रति हजार गैलन की गई. वहीं 1 अप्रैल 2014 को यह दर 32.34 रुपये प्रति हजार गैलन, 1 अप्रैल 2015 को दर 34.3 रुपये प्रति हजार गैलन, 2018 में 40.260 रुपया प्रति हजार गैलन निर्धारित की गई. 2020 में यह दर बढ़कर 50 रुपये 15 पैसा और वर्तमान में 2021 का दर 54 रुपये 41 पैसा प्रति हजार गैलन लागू है.
क्या कहते हैं जल संसाधन विभाग के सचिव प्रशांत कुमार
चांडिल डैम से कई कंपनियां पानी लेती है. कुछ का पेमेंट बकाया है. बकायेदार कंपनियों को विभाग की ओर से लगातार नोटिस दिया जाता रहा है. बकायेदारों पर नियम सम्मत कार्रवाई विभाग की ओर से करने की तौयारी की जा रही है. पेमेंट से जुड़ा एक मामला न्यायालय में भी लंबिल है, इसमें विभाग की ओर से आइए (हस्तक्षेप याचिका) दायर किया गया है.
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