Satya Sharan Mishra
Ranchi : झारखंड बीजेपी में उपर-उपर तो सबकुछ ठीक लग रहा है, लेकिन अंदर कुछ भी ठीक नहीं है. राज्य के शीर्ष बीजेपी नेता एक दूसरे से नजरें चुरा रहे हैं. बीजेपी एसटी मोर्चा राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में अर्जुन मुंडा, बाबूलाल और रघुवर दास के हावभाव ने यह बता दिया कि वे एक मंच पर एक-दूसरे के साथ कंफर्टेबल नहीं हैं. कार्यसमिति की बैठक में तीनों नेताओं ने मंच तो शेयर किया, लेकिन न हाय-हलो हुआ, न एक-दूसरे को देखकर स्माइल दी. अर्जुन मुंडा ने अपने संबोधन के दौरान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में 100 करोड़ टीकाकरण होने की उपलब्धि में बीजेपी नेताओं से ताली बजवाई. पूरे हॉल में मौजूद बीजेपी के केंद्रीय नेताओं ने ताली बजाई, लेकिन रघुवर के मुट्ठी बंधे रहे. मानों वो जताना चाहते हों कि वे मुंडा के हाथों की कठपुतली नहीं हैं.
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मुंडा बोलते रहे और बाहर निकल गये बाबूलाल और दीपक प्रकाश
मुंडा के संबोधन के दौरान रघुवर तो मंच पर ही मौजूद रहे, लेकिन बाबूलाल मरांडी का धैर्य जवाब दे गया. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश को इशारा किया. फिर दोनों अपनी सीट से उठे और बाहर निकल गये. इसके बाद करीब आधे घंटे तक मुंडा बोलते रहे, लेकिन बाबूलाल और दीपक प्रकाश वापस नहीं लौटे. वी सतीश, दिलीप सैकिया और दिल्ली से आये बीजेपी के दूसरे केंद्रीय नेताओं ने भी राज्य के इन बड़े नेताओं के इस एटीट्यूट को नोटिस किया.
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तीनों नेताओं के समर्थकों का बीजेपी में अलग-अलग गुट
अर्जुन मुंडा, रघुवर दास और बाबूलाल मरांडी झारखंड में बीजेपी के बड़े हथियार हैं, लेकिन इन तीनों की अलग-अलग राह होने की वजह से संगठन की ताकत बिखर रही है. पार्टी का शीर्ष नेतृत्व लगातार तीनों नेताओं को एक करने की कोशिश में लगा है, लेकिन तीनों ने पुरानी बातों को दिल में इस कदर लगा लिया है कि एक-दूसरे से दूर-दूर ही रहते हैं. इनके दूरी की वजह से इनके समर्थकों में भी दूरी है. यही वजह है कि बीजेपी में तीनों नेताओं के समर्थकों का अलग-अलग गुट बन गया है, लेकिन प्रदेश नेतृत्व फिलहाल बाबूलाल मरांडी के साथ खड़ा है. जबकि केंद्रीय नेतृत्व रघुवर दास पर मेहरबान है और मुंडा तो मोदी की पसंद हैं ही.
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दिलों की दूरियां बढ़ने की यह है वजह
तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों में मनमुटाव आज नहीं पैदा हुआ है. यह दशकों पुराना है. बाबूलाल मरांडी के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद जब अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री पद मिला. तब पार्टी के अंदर ऐसे हालात पैदा हुए कि बाबूलाल और मुंडा में दूरी बढ़ती चली गई. वहीं रघुवर दास जब मुख्यमंत्री बने तब अर्जुन मुंडा में दूरी बनी. मुंडा रघुवर को नसीहत देते रहे और रघुवर उन्हें नजरअंदाज करते रहे. इधर बाबूलाल मरांडी जेवीएम में रहते अर्जुन मुंडा और रघुवर सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते रहे. राज्यसभा चुनाव हार्स ट्रेडिंग मामले का खुलासा कर बाबूलाल ने रघुवर की परेशानी काफी बढ़ा दी. 2019 विधानसभा चुनाव के बाद केंद्रीय नेतृत्व लगातार तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को एक करने की कोशिश में लगी है, लेकिन ये लोग अबतक एक-दूसरे से नजरें मिलाने से भी ही कतरा रहे हैं.
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