Ranchi: शोषण, दमन, अत्याचार और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले बाबूलाल मरांडी रिंकी झा प्रकरण में चुप हैं. जब वे जेवीए के अध्यक्ष थे, तब भी चुप थे. जब वे बीजेपी विधायक दल के नेता हैं, तब भी चुप हैं. जेवीएम की तात्कालीन प्रवक्ता रिंकी झा ने जब अपनी ही पार्टी के विधायक प्रदीप यादव पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. तब बाबूलाल उस समय के राजनीतिक नफा-नुकसान को देखते हुए चुप थे. जैसे ही प्रदीप यादव गोड्डा से लोकसभा चुनाव हारे बाबूलाल ने उन्हें महासचिव पद से इस्तीफा देने का आदेश दे दिया.
लेकिन प्रदीप पार्टी में बने रहे और विधानसभा चुनाव लड़े. बाद में जेवीएम टूटा और बाबूलाल बीजेपी तो प्रदीप कांग्रेस में चले गये. हाल के दिनों में रिंकी झा का मामला फिर उठा. पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष पर आरोप लगे. बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे रिंकी के पक्ष में खड़े हुए, लेकिन बाबूलाल मरांडी कुछ नहीं बोले. सिर्फ रिंकी प्रकरण ही नहीं प्रदीप यादव से जुड़े दूसरे आरोपों और मामलों में भी बाबूलाल बीजेपी नेता के तौर पर कुछ नहीं बोल रहे हैं.
इसे भी पढ़ें – अरगोड़ा अंचल : फर्जी जमाबंदी कर 84 डिसमिल जमीन को सीएनटी फ्री किया, अब हो रहा अपार्टमेंट का निर्माण
रिंकी को बाबूलाल से मिल रहा सिर्फ आश्वासन
बाबूलाल मरांडी के बीजेपी में आने के बाद रिंकी झा लगातार उनसे संपर्क में हैं. पिछले रविवार को भी रिंकी झा डिबडीह स्थित जेवीएम के पुराने ऑफिस में बाबूलाल मरांडी से मिली थी और उनसे बीजेपी में शामिल करवाने का आग्रह किया. बाबूलाल मरांडी के साथ एक और नेता भी वहां मौजूद थे. उन्होंने कहा कि प्रदीप यादव वाला मामला अभी चल ही रहा है. इसलिए अभी उनका बीजेपी में शामिल होना ठीक नहीं है. वहीं रिंकी का कहना है कि जब भी वो खुद को बीजेपी में शामिल करने की बात बाबूलाल मरांडी से करती हैं, तब वे कहते हैं इस बारे में दीपक प्रकाश से चर्चा करेंगे. वहीं पार्टी में शामिल कराने का आग्रह लेकर वो डेढ़ साल पहले भी दीपक प्रकाश से मिल चुकी हैं, कई बार उनसे कॉन्टेक्ट भी हुआ, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला.
गुड खाकर गुलगुले से परहेज कर रही बीजेपी!
झारखंड बीजेपी गुड़ खाकर गुलगुले से परहेज वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है. बीजेपी को दागियों से नहीं बल्कि दाग लगाने वालों से परहेज है. यही वजह है कि कुशवाहा शशिभूषण मेहता और ढुल्लू महतो जैसे दर्जनों दागी बीजेपी की डिटर्जेंट में धुलकर बेदाग हो गये. जबकि रिंकी झा को पार्टी में जगह ही नहीं मिल पा रही है. 2019 में चुनाव से पहले रिंकी झा के मुद्दे पर बीजेपी ने जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव पर खूब हमले किये थे. चुनाव खत्म हुआ. राजनीतिक नफा-नुकसान को देखते हुए समझौता हुआ और बाबूलाल की पार्टी जेवीएम बीजेपी में मिल गई. जेवीएम के सारे नेता और कार्यकर्ता भी बीजेपी में आ गये, लेकिन रिंकी झा नहीं आ पाई. वो लगातार बीजेपी में शामिल होने की कोशिश कर रही हैं.
सिर्फ फायदे के लिए खुलते हैं राजनीति के द्वार
रिंकी रिंकी झा का कहना है कि वो एक बार राजनीति में आ चुकी हैं. इसलिए राजनीति से दूर नहीं रह सकतीं. लेकिन राजनीति करने वालों को शायद मुझसे फायदा नजर नहीं आ रहा है. इस कारण राजनीति में जाने के दरवाजे बंद हो गये हैं. हम केस कर दिये तो दागदार हो गये, लेकिन यह भी याद रखिये कि अगर प्रदीप यादव वाला मेरा मामला नहीं उठता तो शायद बाबूलाल मरांडी को मुक्ति नहीं मिलती (जेवीएम और प्रदीप यादव से).
उससे पहले भी बीजेपी से उन्हें ऑफर मिला था, लेकिन उनपर दबाव था इस वजह से वे बीजेपी में नहीं जा सके. लेकिन मेरे प्रकरण के बाद वे बीजेपी जा सके. वो ये भी कहती हैं कि बाबूलाल मरांडी और अन्य नेता प्रदीप यादव प्रकरण में उनके साथ खड़े नहीं रहे, जबकि उन्हें नैतिकता के आधार पर साथ देना चाहिए था.
इसे भी पढ़ें – यूपी : जेल में बंद आजम खान की बिगड़ी तबीयत, लखनऊ लाने की तैयारी
Good