Girish Malviya
मोदी सरकार अडानी अंबानी जैसे उद्योगपतियों पर अलग से वैल्थ टैक्स क्यो नही लगाती? वह क्यों आम जनता के पेट्रोल डीजल पर 60% कर लगा कर अपना खजाना भर रही है? पिछले दिनों अमेरिका की संसद में अमीरों पर नया कर लगाने का प्रस्ताव पेश किया गया. इसकी जद में 700 अमेरिकी अरबपति आएंगे. अमेरिकी सीनेट की वित्त समिति के अध्यक्ष रॉन वेडेन द्वारा उन अमेरिकी करदाताओं पर यह प्रस्ताव लागू करने का सुझाव दिया गया है. जिनके पास लगातार तीन वर्षों तक 1 अरब डॉलर से अधिक की संपत्ति या आय 10 करोड़ डॉलर से अधिक हो.
रॉन वेडेन ने एक बयान में कहा कि अरबपति आयकर सुनिश्चित करेगा कि अरबपति हर साल काम कर रहे अमेरिकियों की तरह कर का भुगतान करें. अमेरिका में कोई भी कामकाजी व्यक्ति यह नहीं सोचता कि यह ठीक है कि वे अपने करों का भुगतान करते हैं और अरबपति नहीं करते हैं. इस प्रस्ताव पर डेमोक्रेटिक सीनेटर एलिजाबेथ वारेन ने अपने विचार रखते हुए कहा कि बहुत लंबे समय तक अरबपतियों के लिए नियमों का एक अलग सेट रहा है, जो उन्हें सिस्टम को धोखा देने और करों में कुछ भी भुगतान नहीं करने की अनुमति देता है. कांग्रेस के पास अब इसे ठीक करने का ऐतिहासिक अवसर है.
आप पेंडोरा पेपर्स को ही देख लीजिए किस तरह से देश के टॉप उद्योगपति बड़े वकीलों और अकाउंटेंटों की बड़ी फौज खड़ी कर कानून और खाताबही के भीतर रास्ता बनाने में लगे रहते हैं. जिससे उन पर कानून की आंच भी न आए और टैक्स देने से भी बचा जा सके. मोदी सरकार भी इस काम मे अपने मित्र पूंजीपतियों की पूरी सहयोगी बनी रहती है, बल्कि उसने तो एक कदम आगे बढ़ कर वर्ष 2019 में कारपोरेट टैक्स की दर घटा दी. जिसका परिणाम यह हुआ है कि पिछले 21 सालों में यह पहला मौका है जब आम आदमी की ओर से दिए जाने वाले पर्सनल इनकम टैक्स का कलेक्शन कंपनियों की ओर से दिए जाने वाले कॉरपोरेट टैक्स से ज्यादा रहा है.
इसकी वजह यह है कि मोदी जी ने मौजूदा कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर को करीब 10% कम करते हुए 25% कर दिया था. सैद्धांतिक रूप से कम कॉरपोरेट टैक्स के कारण औसत भारतीय उपभोक्ता को फ़ायदा मिलना चाहिए था. लेकिन ऐसा न होकर महंगाई में खतरनाक ढंग से इजाफा हुआ. अगर आज भारत में टॉप 300 अरबपतियों पर वैल्थ टैक्स लगाया जाए तो सरकार को अतिरिक्त आमदनी हो सकती है और जनता को महंगे पेट्रोल डीजल गैस की बढ़ती कीमतों से राहत दी जा सकती है.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.