- केंद्रीय महिलाकर्मियों के लिए पहले से है यह नियम
- बोकारो कोर्ट के वकील डॉ. राजकुमार ने 2012 बैच की इंस्पेक्टर संगीता की पहल पर दायर की थी जनहित याचिका
Dinesh Kumar Pandey
Bokaro : झारखंड की महिलाकर्मियों को भी बच्चों की देखभाल के लिए दो साल की छुट्टी मिल सकती है. सीएम हेमंत सोरेन ने जो कहा, वह लागू हुआ तो राज्य सरकार की महिला कर्मचारियों और अधिकारियों को 730 दिनों का चाइल्ड केयर लीव पहली मिल सकेगा. यानी महिलाकर्मी अपने बच्चे की देखभाल के लिए दो साल की छुट्टी ले सकेंगी. यह घोषणा सीएम हेमंत सोरेन ने राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किए जाने की खुशी में आभार प्रकट करने के लिए प्रोजेक्ट भवन में झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ द्वारा आयोजित समारोह में की थी. राज्य की महिलाकर्मियों और अधिकारियों को चाइल्ड केयर लीव देने को लेकर एक पीआईएल झारखंड हाइकोर्ट में झारखंड उच्च न्यायालय सह बोकारो कोर्ट के अधिवक्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. राजकुमार ने दाखिल किया था.
गौरतलब है कि अभी तक देश के करीब एक दर्जन राज्यों में यह प्रावधान था कि अगर कोई महिला राज्य की कर्मचारी है तो उसे अपने बच्चे की देखभाल करने के लिए दो साल की वेतन के साथ छुट्टी मिलेगी.
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क्या कहा गया था पीआईएल में
अधिवक्ता डॉ. राजकुमार ने हाइकोर्ट में दायर याचिका में मांग की थी कि राज्य सरकार केंद्र की तरह ही राज्य की महिला कर्मचारियों को 730 दिनों के लिए चाइल्ड केयर लीव प्रदान करे. क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश के साथ-साथ बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, यूपी, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा,राजस्थान सहित कई राज्यों ने सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप और नवजात बच्चे की देखरेख करने के साथ ही बच्चों में कुपोषण को कम करने के लिए आदेश या निर्देश पारित किया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि 180 दिनों के मातृत्व अवकाश के अलावा 730 दिनों की चाइल्ड केयर लीव देने से नवजात के स्वास्थ्य और विकास में सुधार करने में मदद मिलेगी. चाइल्ड केयर लीव मिलने से नवजात के विकास में मदद मिलेगी . साथ ही मां के लिए फायदेमंद होगा.
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महिलाओं के हक में क्या कहा था याचिका में
अधिवक्ता ने याचिका में कहा था कि चूंकि झारखंड राज्य में चाइल्ड केयर लीव की व्यवस्था नहीं दी गई है और न ही इस दिशा में कोई कदम उठाया गया है. लिहाजा याचिकाकर्ता ने चाइल्ड केयर लीव पर सूचना मांगने के लिए आरटीआई अधिनियम के तहत एक आवेदन दायर किया था, लेकिन कोई जानकारी नहीं दी गई. इसके बाद याचिकाकर्ता ने मुख्य सूचना आयुक्त, झारखंड के समक्ष दूसरी अपील दायर की. 2010 की सूचना और सरकारी संकल्प का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र सरकार की सिफारिशों के अनुसार राज्य सरकार के कर्मचारी के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि 135 दिन से बढ़ाकर 180 दिन कर दी गई है, लेकिन चाइल्ड केयर लीव मामले में झारखंड सरकार चुप है.
डॉ. राजकुमार द्वारा समाज के हित में किये गये महत्वपूर्ण कार्य
डॉ. राजकुमार बिहार राज्य में मेडिकल ऑफिसर के रूप में कार्यरत थे, लेकिन समाज में व्य्याप्त भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सरकारी नौकरी की परवाह नहीं की. 2009-10 में आयुष नियुक्ति घोटाला का उद्भेदन इन्होंने ही किया था. इस खुलासे के कारण लगभग 200 डॉक्टरों का सेवा विस्तार नहीं हो पाया था, क्योंकि नियुक्ति ही अवैध ढंग से की गई थी. यह मामला सामने आने के बाद कई अधिकारी और नेता सलाखों के पीछे पहुंच गये. हाल ही में बंगाल पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तथा ईडी हिरासत में झारखंड उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता राजीव कुमार का वकालत के पेशे के खिलाफ काम करने को लेकर झारखंड राज्य बार काउंसिल से लाइसेंस 2010-11 में रद्द कराया. यह मामला वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है.
बोकारो इस्पात संयंत्र के सेक्टर-4 स्थित जमीन पर अवैध तरीके से बनाये गए मारुति नेक्सा शोरूम को भी इनके ही प्रयास से बीएसएल संपदा न्यायालय के आदेश के बाद तोड़ा गया.
बोकारो स्थित बोकारो जनरल अस्पताल में इलाज के लिए जो राशि तय की गयी थी उस मामले में याचिका दायर करने के बाद मरीजों के इलाज के लिए शुल्क आधा से भी कम कराने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. खास बात यह थी कि चार साल की लंबी लड़ाई लड़ने के बाद बोकारो स्टील प्रबंधन ने बोकारो जनरल अस्पताल के लगभग हर चीज में रेट लगभग आधा से ज्यादा कम कर दिया. जिससे न केवल बोकारोवासी ही बल्कि अगल-बगल के जिलों के लोग भी लाभान्वित हो रहे हैं. इनके द्वारा पूर्व में झारखंड राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है.
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