Ranchi: 4 फरवरी को कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है. इस वर्ष कैंसर डे को याद कर गोड्डा जिले के तारवारा के रहने वाले 42 वर्षीय दुर्गा मांझी भावुक हो जाते हैं. दुर्गा कहते हैं कि पैसे की तंगी और बढ़ती बीमारी के बीच गोड्डा से कोलकाता तक का सफर तय करने के बाद भी जिंदगी से जंग हार चुका था. उम्मीद खत्म होने लगी थी. लेकिन रिम्स के डॉक्टरों ने मेरी जान बचाई और इससे बड़ा तोहफा कैंसर डे पर मेरे लिए कुछ और हो ही नहीं सकता है.
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रिम्स ने बचाई मेरी जान- दुर्गा मांझी
दरअसल, दुर्गा मांझी को मुँह का कैंसर है. कैंसर चौथे स्टेज-ए श्रेणी में पहुंच चुका था. समस्या पिछले डेढ़ साल से बनी हुई थी. कई जगह दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. खर्च लाखों में था और पैसे की तंगी सामने आ रही थी. इसके बाद जिंदगी की उम्मीद लेकर रिम्स पहुंचा. यहां ईएनटी विभाग के चिकित्सकों ने मेरा इलाज किया और अब मैं स्वस्थ हूं. उन्होंने कहा कि तंबाकू का सेवन मेरे लिए घातक साबित हो गया.
निजी अस्पताल में इलाज के लिए चार लाख का खर्च
वहीं दुर्गा का इलाज करने वाले ईएनटी और नेक कैंसर के हेड सर्जन डॉ जाहिद मुस्तफा खान ने कहा कि 4 से 5 घंटे तक चली सर्जरी के बाद दुर्गा के मुँह के कैंसर का सफल ऑपरेशन किया गया. उन्होंने कहा कि जबड़े का ऊपरी और निचले हिस्से के कैंसर को काट कर हटाया गया. उसके बाद छाती के मांस को निकालकर प्लास्टिक सर्जरी कर रिकंस्ट्रक्ट किया गया. डॉ जाहिद ने कहा कि दुर्गा का इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत किया गया. उन्होंने कहा कि निजी अस्पताल में इसी इलाज के लिए चार लाख रुपए तक खर्च करने पड़ते.
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सर्जरी टीम में शामिल रहे सदस्य
दुर्गा मांझी के सर्जरी में ईएनटी विभाग की एचओडी डॉ चंद्रकांति बिरुआ, डॉ राजेश चौधरी, डॉ दशरथ, डॉ अनस, डॉ गजेंद्र, डॉ रत्ना, डॉ शिवानी, डॉ कोमल, डॉ नुमान और नेक कैंसर के हेड सर्जन डॉ जाहिद मुस्तफा खान शामिल रहे.