– छात्रों के ड्रॉप आउट दर में झारखंड की स्थिति बेहतर नहीं, 50 फीसदी तक पहुंचा आंकड़ा
Ranchi : झारखंड की शिक्षा व्यवस्था सुधारने की तमाम कवायदों के बीच स्कूली शिक्षा को लेकर चिंताजनक आंकड़े सामने आये हैं. प्रदेश के ज्यादातर जिलों में 12वीं कक्षा से पहले पढ़ाई छोडने वाले ड्रॉप आउट छात्र-छात्राओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. प्रदेश में कक्षा आठ के बाद विद्यार्थियों का डॉप आउट रेट बढ़ता जा रहा है.
फरवरी 2021 तक सरकारी स्कूलों में 74,63,906 बच्चे नामांकित हैं. सरकारी स्कूलों में नामांकित बच्चों की शिशु पंजी तैयार हो रही है. इसके तहत सर्वे भी हो रहा है. जिसमें कक्षा पांच तक 40,778 बच्चे ड्रॉप आउट पाये गये हैं. वैसे झारखंड में प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में नामांकन अनुपात राष्ट्रीय स्तर से बेहतर है.
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असफल होने के बाद आगे की पढ़ाई छोड़ रहे हैं स्टूडेंटस
वर्ष 2020 में कक्षा आठ की बोर्ड परीक्षा में 5,03,862 और इंटर की परीक्षा में 2,31,182 स्टूडेंट शामिल हुए थे. 2,72,680 स्टूडेंट्स ने बोर्ड के बाद पढ़ाई छोड दी. जिसमें ज्यादातर बच्चे ऐसे हैं, जो बोर्ड व 11वीं की परीक्षा में असफल होने के बाद आगे की पढ़ाई नहीं करते हैं. 2019-20 में 60,444 बच्चे 10वीं में ड्रॉप आउट के रूप में चिह्नित किये गये थे.
आंकड़ों से समझें, आगे की कक्षाओं में कैसे कम हो रहे हैं बच्चें
कक्षा 8 में स्टूडेंट्स – 5,03,862
कक्षा 9 में स्टूडेंट्स – 4,17,030
कक्षा 10 में स्टूडेंट्स – 3,85,144
कक्षा 11 में स्टूडेंट्स – 3,39,061
कक्षा 12 में स्टूडेंट्स – 2,31,182
झारखंड में स्टूडेंट्स का ड्रॉप आउट रेट 50 फीसदी तक पहुंचा
यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यू-डाइस) ने गत वर्ष आंकड़े जारी किए थे. जिसमें झारखंड में 2014-15 में ड्रॉप आउट की दर 23.15 फीसदी थी, जो अगले साल बढ़कर 24 फीसदी हो गई. फिर 2016-17 तेजी से बढ़कर 36.64 फीसदी तक पहुंच गई थी. अब यह बढ़कर झारखंड में 45 फीसदी से ज्यादा हो गया है. गत वर्ष के आंकड़ों को देखें, तो ड्रॉप आउट रेट तकरीबन 50 फीसदी तक पहुंच गया है.
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