Krishnan Iyer
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार “Bad Bank” की घोषणा की है. यह क्या बला है. इससे किसे नुकसान होगा और किसे फायदा होगा. इस शब्द से ज्यादातर भारतीय परिचित नहीं हैं. इसे आप “NPA Bank” भी कह सकते हैं. अब तीन चरणों से समझिये, यह है क्या ? इसके फायदे और नुकसान क्या हैं ? किसको फायदा होना है ?
“Bad Bank” क्या होता है?
– एक बैंक जो केवल “NPA” खरीदती है.
– जिन बैंको में “NPA” है, वो “NPA” बेचते हैं.
– “NPA” को “मार्केट प्राइस” पर बेचा जाता है.
– मान लीजिए, 100 रूपया का लोन “NPA” हो गया.
– 100 रूपया का मार्केट भाव लगा 45 रुपया.
– “Bad Bank” इसे 45 रूपया या इससे कम पर खरीदेगा.
इसका फायदा/नुकसान
– जर्जर बैंकों का “मेकअप” हो जाता है.
– पर बैंको का घाटा कम नहीं होता.
– “NPA” बैंक के खाते से हट जाते हैं.
– 100 रुपया का 45 रूपया मिलने पर बैंक खुश.
– 55 रुपया का घाटा शेयरहोल्डर, बॉन्डधारक का.
– डिपॉजिटर को कोई नुकसान नहीं होता.
किसको फायदा
– उद्योगपति ने 100 रुपया का लोन लिया.
– 100 रुपया का लोन “NPA” हो गया.
– “NPA” 45 रुपया में “Bad Bank” में गया.
– उद्योगपति ने उसी “NPA” को 50 रूपया में खरीदा.
– “Bad Bank” को 5 रूपया का फायदा हो गया.
– उद्योगपति कानूनन “NPA” से मुक्त हो गया.
… और सत्ताधारी पार्टी को को मोटा चंदा (सबसे अधिक) मिल जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ चुका है कि दिवालिया संपत्ति पर अब कानूनी कार्यवाही नहीं होगी. और भारत में “NPA” 25 लाख करोड़ के पार है. वर्ष 2014 में ये NPA केवल 2.5 लाख करोड़ का था.
भारत में NPA के लिए IBC, ARC है. पर, अब इनसे काम नहीं होगा. 25 लाख करोड़ ठिकाने लगाने के लिये “Bad Bank” जैसा बैंक का होना जरुरी है. इसलिये आ गया “Bad Bank”.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.