KIRIBURU : एशिया का सबसे बड़ा साल जंगल सारंडा की सबसे ऊंची चोटी पर बसा किरीबुरु-मेघाहातुबुरु शहर में पहली बार तापमान 40 डिग्री तक पहुंच गया है. इस भीषण गर्मी की वजह से आम जनता के साथ-साथ वन्यप्राणी व पालतू जानवर तक परेशान व त्रस्त हैं. लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वह जायें तो कहां जायें. निरंतर बढ़ते तापमान और घटते जलस्तर से लौहांचल एवं सारंडा के गांवों में रहने वाले लोग खतरे में हैं. हम स्वयं के साथ-साथ खदान प्रबंधनों, सरकार और वन विभाग की गलत नीतियों की वजह से जानबूझ कर उस रास्ते की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं.
तापमान में निरंतर हो रही है वृद्धि
वैज्ञानिक स्वयं मान रहे हैं कि भूमिगत जल का स्तर घट रहा है. वातावरण में तापमान की निरंतर वृद्धि हो रही है. क्लोरोफ्लोरो कार्बन अर्थात सीएफसी, मीथेन व नाइट्रोजन आक्साइड सरीखी विषैली गैसें बढ़ रही हैं. इस हालात से बचने के लिए जनमानस में चेतना का संचार आवश्यक है ताकि वृक्षों की अंधाधुंध कटाई को रोका जा सके. अधिक से अधिक वृक्ष लगाना मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए न कि काटना. अपनी धरती को अपमानित करने वाला मानव तमाम मूर्खताओं व कुकृत्यों के बावजूद प्रकृति को मां कह कर संबोधित करता है. यदि प्रकृति मां है तो मां के साथ पुत्र का यह पशुजनित व्यवहार कहां तक उचित है! ऐसी परिस्थिति में हम सब का कर्तव्य पर्यावरण को बचाना है.
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