सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने झालसा को इस मामले में प्रतिवादी बनाते हुए मेम्बर सेक्रेट्री से मंतव्य की मांग की है. वहीं क्षेत्र की दुमुहानी नाला को नष्ट कर अवैध खनन के दोषियों को सरकारी आदेशों का गलत व्याख्या करने के मामले में भी अदालत ने सरकार से जवाब माँगा है.हाईकोर्ट ने इस मामले में झालसा को प्रतिवादी बनाया है. साथ ही अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) से पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है.
आरसीसीएफ ने कोर्ट को दिया अधूरा जवाब
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में फर्जी ग्राम वन प्रबंधन एवं संरक्षण समिति की जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई नही करने एवं रिपोर्ट बदलने के मामले में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ़) झारखंड को व्यक्तिगत शपथ पत्र दायर कर जवाब देने का निर्देश दिया था. प्रधान मुख्य वन संरक्षक के बदले क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (आरसीसीएफ) ने कोर्ट में आधा अधूरा और भ्रामक जवाब शपथपत्र के माध्यम से दिया. जिसको लेकर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता नवीन कुमार सिंह और दीपक कुमार ने कोर्ट में लिखित रूप से बताया कि क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक ने कोर्ट को अधूरा और भ्रामक जवाब दिया है. जांच अधिकारी एके परमार के रिपोर्ट बदलने के मामले में कहा गया है कि उन्होंने गलत रिपोर्ट बनाया है जिसके लिए उनको शो कॉज किया गया है. लेकिन हाईकोर्ट से यह तथ्य छुपा दिया गया, जिसमें एके परमार ने उपरोक्त शो कॉज नोटिस का जवाब दे दिया और जवाब देने के बाद उनके खिलाफ विभाग ने कोई कार्रवाई नही किया था.