झामुमो : सीएम हेमंत और सुप्रियो लगातार विपक्ष पर हमलावर बने रहे
Satya Sharan Mishra
Ranchi : सितंबर महीने में झारखंड में सियासी उथल-पुथल के बीच हेमंत सरकार ने विधानसभा में बहुमत साबित किया. मुख्यमंत्री का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ दिखा. जनहित में एक के बाद एक फैसले लेकर उन्होंने सबको चौंका दिया. 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी. मुख्यमंत्री विपक्ष पर हमलावर रहे. भाजपा पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करने की साजिश करने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी सरकार न सिर्फ बहुमत की बल्कि हिम्मत की सरकार है. उधर झामुमो भी मुख्यमंत्री के पक्ष में मुखर रहा. पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य भाजपा नेताओं को घेरते रहे. पढ़िए सितंबर में हेमंत सोरेन और सुप्रियो भट्टाचार्य के दिए गए 19 बड़े बयान.
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सितंबर में सीएम हेमंत सोरेन ने कब-कब क्या-क्या कहा
24 सितंबर- अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के खुलने से न सिर्फ राज्य में उच्च शिक्षा का स्तर उठेगा, बल्कि राज्य के प्रतिभावान छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों में पलायन नहीं करना पड़ेगा. ग्रामीण इलाके के गरीब बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी.
21 सितंबर- विरोधी क्या कर रहे हैं ये वही समझें. मैं क्या कर रहा हूं वो हमारे लिए महत्वपूर्ण है और हम उसके अनुरूप ही काम कर रहे हैं. राज्य में जिला से लेकर पंचायत स्तर तक काम किया जा रहा है. विरोधी हमारे गढ़ की चिंता बहुत ज्यादा कर रहे हैं, वो थोड़ी सी अपनी चिंता कर लें तो बेहतर होगा.
21 सितंबर- पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी निजी स्वार्थ के लिए गलत रास्ते पर चल रहे हैं. देखिए झारखंड की जनता उन्हें कहां लेकर जाएगी. उनके पास जुमलेबाजी के सिवाय कुछ नहीं बचा है.
20 सितंबर- 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति कैबिनेट से पास होने से गली मुहल्लों में खुशी है. भाजपा की स्थानीय नीति से लोगों को लाभ नहीं मिल रहा था. उनकी नीति खून-खराबा वाली थी.
19 सितंबर- जिले के उपायुक्त समेत अन्य पदाधिकारी जमीन से जुड़े मुकदमों के निपटारे के लिए राजस्व कोर्ट नहीं लगाते हैं. नियमित कोर्ट लगाकर जनता से जुड़े मुकदमों का निपटारा करें. बारिश नहीं होने की वजह से इस साल सूखे की स्थिति है, ऐसे में किसानों का पलायन न हो इसका ख्याल रखें.
16 सितंबर- अलग राज्य बनने के बाद से ही सरकार द्वारा बनाई गई कई नीतियों का मामला कोर्ट-कचहरी तक पहुंचता रहा. अदालतों में सरकार को इन नीतियों की खामियों का खामियाजा भुगतना पड़ा, लेकिन वर्तमान सरकार में उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय में दायर मुकदमों में सरकार के पक्ष में फैसले आ रहे हैं.
15 सितंबर- भाजपा अनैतिक रूप से सत्ता हासिल करने का प्रयास कर रही है, लेकिन वो इसमें कभी सफल नहीं होगी. 5 सितंबर को यूपीए सरकार ने विधानसभा में अपना बहुमत साबित किया है. विधायकों ने सरकार पर निष्ठा और विश्वास व्यक्त किया है.
14 सितंबर- राज्य का मुखिया होने के नाते हम एक ओर राज्य को बेहतर दिशा देने का काम कर रहे हैं, वहीं व्यवस्था में वर्षों से चली आ रही खामियों को दूर करने का प्रयास भी लगातार जारी है.
13 सितंबर- कुछ लोग इस बात को फैला कर वातावरण को दूषित करने में लगे हैं कि सरकार अब गयी, कि तब गयी, लेकिन इस सरकार को कोई हिला नहीं सकता, कोई डिगा नहीं सकता.
12 सितंबर- सीमित संसाधनों के बावजूद हमारे राज्य के होनहार खिलाड़ियों ने देश-विदेश में अपने हुनर का प्रदर्शन किया है. राज्य सरकार स्कूलों में खेल शिक्षकों की बहाली में खिलाड़ियों को प्राथमिकता दी जाएगी.
10 सितंबर- सरकार को गिराने की कोशिश हो रही है. वक्त आने पर विरोधियों की हर साजिश का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. राज्य में विकास का वातावरण बनने से उनकी सरकार के प्रति राज्य के लोगों में उम्मीदें बंधी हैं. लेकिन, इससे विरोधियों को इतनी तकलीफ हो गई है कि वह एन केन प्रकारेण सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं.
5 सितंबर- ना सिर्फ यह बहुमत की सरकार है, बल्कि हिम्मत की सरकार है. न डरूंगा, न डराऊंगा. भाजपा सिर्फ सत्ता चाहती है, उसको विकास से मतलब नहीं है. भाजपा इस देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करने में लगी है.
4 सितंबर- जिस तरीके से विपक्ष षड्यंत्रकारी जाल बिछा रहा है, वो सभी जाल कुतर दिए जाएंगे. विपक्ष ने हमारे लिए जो जाल बिछाए हैं उसमें वे खुद फंस जाएंगे. जनता उनके हर कारनामे को देख रही है.
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सुप्रियो भट्टाचार्य के सितंबर में दिए गए अहम बयान
29 सितंबर- यह बहुत दुखद है कि राज्य में जो भी घटनाएं होती हैं, उसमें पीएफआई का हाथ बता दिया जाता है. रघुवर सरकार के पाप को भाजपा हेमंत सरकार से जोड़ने की कोशिश कर रही है.
24 सितंबर- राज्य के साढ़े तीन करोड़ लोगों के आशीर्वाद से हमारी सरकार ने 1000 दिन पूरा किया है. जनता के ही आशीर्वाद से यह सरकार 1 लाख दिन पूरा करेगी. सरकार के ऐतिहासिक फैसले देखकर विपक्ष के पेट में दर्द हो रहा है.
16 सितंबर- भाजपा और आजसू आदिवासी-मूलवासी विरोधी मानसिकता वाली पार्टी है. भाजपा मीरजाफर है तो आजसू जयचंद है. भाजपा के एक नेता बाबूलाल मरांडी आदिवासी समाज से आते हैं, वहीं आजसू के एक नेता सुदेश महतो पिछड़े वर्ग से आते है़ं, लेकिन इनलोगों ने झारखंडियों को उसकी पहचान नहीं दी.
14 सितंबर- किसी के निरर्थक आरोपों से किसी का चरित्र हनन नहीं हो जाता. गुरुजी पर आरोप लगाने से पहले बाबूलाल मरांडी को बतलाना चाहिए कि उनके पास कुल कितनी संपत्ति है. यदि बाबूलाल इसकी जानकारी नहीं देते हैं, तब झामुमो इसकी जानकारी सामने लाएगा.
6 सितंबर- जिस पत्र को चुनाव आयोग को भेजा गया था वह किन परिस्थितियों में निशिकांत दुबे के हाथ लगी. क्या अब यह नहीं माना जाए कि चुनाव आयोग अपना हर काम निशिकांत दुबे से पूछ कर करता है.
2 सितंबर- राजभवन भाजपा का टूलकिट बनकर काम कर रही है. राज्यपाल इलेक्शन कमीशन से मिली चिट्ठी को लेकर पहले कानून विशेषज्ञों की राय लेने की बात कर रहे थे और अब दिल्ली रवाना हो गये हैं. कहीं राज्यपाल गृह मंत्रालय तो नहीं गये हैं.
भाजपा : सड़क से सदन तक सरकार के खिलाफ आक्रामक रही
सितंबर में पार्टी नेताओं के 37 बड़े व अहम बयान
सितंबर महीने में भाजपा सड़क से सदन तक सरकार के खिलाफ आक्रामक रही. ईडी की कार्रवाई, हेमंत सोरेन का ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामला, 1000 करोड़ माइनिंग घोटाले, 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति, ओबीसी आरक्षण समेत कई मुद्दों को लेकर भाजपा ने सरकार को घेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. झारखंड भाजपा के तीन प्रमुख नेता प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने सितंबर महीने में 37 बड़े बयान दिए. पढ़िए तीनों नेताओं ने क्या-क्या कहा.
दीपक प्रकाश के बयान
28 सितंबर- हेमंत सरकार की तुष्टिकरण नीति ने असामाजिक तत्वों का मनोबल इतना बढ़ा दिया है कि लगातार राजधानी रांची में मंदिरों पर हमले हो रहे हैं.
27 सितंबर- हेमंत सरकार में हुए खनन घोटाले में सीधे तौर पर मुख्यमंत्री और उनके करीबी प्रतिनिधियों के नाम तो अब जग जाहिर हो चुके हैं. लेकिन इतने बड़े पैमाने पर अवैध खनन बिना अधिकारियों के मिली भगत के संभव नहीं है, राज्य के सभी प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए.
25 सितंबर- पलामू में पति के सामने महिला से छह लोगों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म की घटना पूरे झारखंड को शर्मसार करने वाला है. भ्रष्ट हेमंत सरकार सिर्फ राज्य को लूटने में मस्त है, मुख्यमंत्री सिर्फ अखबारों में बड़ी-बड़ी डींगे हांकने में व्यस्त है.
25 सितंबर- हेमंत सरकार के 1000 दिन की यही उपलब्धि रही है कि मुख्यमंत्री ने अपने प्रतिनिधि के माध्यम से राज्य के सिर्फ एक जिले से ही 1000 करोड़ रुपए से अधिक का अवैध खनन कर झारखंड के पैसे को लूट लिया.
23 सितंबर- ईडी ने साहेबगंज में मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि द्वारा किए गए 1000 करोड़ से अधिक के माइनिंग घोटाले का पर्दाफाश कर दिया है. अब मुख्यमंत्री जी आप भी जनता को कुछ बताएगा, या सारा काम सिर्फ ईडी ही करेगी ?
22 सितंबर- झारखंड में किसके इशारे पर शराब के नाम पर हर महीने 50 करोड़ से भी अधिक की अवैध उगाही हो रही है. यह पैसा किसके-किसके पास पहुंच रहा है ? राज्य सरकार खुद बताए या झारखंड की जनता खुद ढूंढ़ निकालेगी.
21 सितंबर- राज्य की जनता समझ चुकी है कि कांग्रेस की बैसाखी वाली हेमंत सरकार ने तुष्टिकरण को ही अपना संविधान मान लिया है. इसलिए मुख्यमंत्री एक बार भी दुमका की उस बेटी से मिलने नहीं गए जिसकी हत्या अरमान अंसारी ने बलात्कार के बाद की थी.
20 सितंबर- पहले तो झारखंड में हेमंत सरकार के मौन समर्थन से धर्मांतरण का खेल चल ही रह था लेकिन क्या झारखंड में अब राज्य सरकार द्वारा एक सरकारी योजना की तरह ही धर्मांतरण के लिए लोगों को मजबूर किया जा रहा है. आखिर कांग्रेस को बहुसंख्यक समाज से इतनी नफरत क्यों है.
19 सितंबर- गढ़वा में एक दलित नाबालिग बच्ची के साथ इरशाद खान और उसके साथी द्वारा 3 दिन तक बलात्कार की घटना सामने आई है जो झारखंड को शर्मसार करने वाला है. राज्य सरकार को चुल्लू भर पानी मे डूब मरना चाहिए.
12 सितंबर- झारखंड में लगातार एक समुदाय विशेष के द्वारा आदिवासियों और दलितों पर अत्याचार किया जा रहा है लेकिन कांग्रेस की गोद में बैठी हेमंत सरकार वोटबैंक के लिए चुप्पी साधे है.
9 सितंबर- हेमंत सरकार ने अनैतिकता, बर्बरता और अमानवीय व्यवहार की सारी हदें पार कर दी है. जिस जनता के पैसे से यह खुद के लिए करोड़ों के हवाई जहाज बुक कर लेते हैं उसी जनता के लिए इनके पास स्ट्रेचर तक नहीं है.
5 सितंबर- मुख्यमंत्री को अपने ही विधायकों का विश्वास जितने के लिए इतना जतन करना पड़ा, रांची से बस से एयरपोर्ट, एयरपोर्ट से रायपुर, विशेष विमान से रांची सर्किट हाउस और फिर बस से विधानसभा. इससे बेहतर होता कि मुख्यमंत्री दुमका की बेटियों को न्याय दिलाकर उनके परिवार का विश्वास जीतते.
4 सितंबर- देश में सर्वाधिक बलात्कार और हत्या के मामले झारखंड में हो रहे हैं. अधिकतर घटनाएं आदिवासी और दलित बेटियों के साथ हो रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार सिर्फ झारखंड को लूटने और अय्याशी करने में व्यस्त है.
3 सितंबर- झारखंड जल रहा है और हेमंत सरकार के मंत्री विधायक रायपुर में मौज-मस्ती कर रहे हैं. केंद्रीय एजेंसी जांच करे कि रायपुर में किनके पैसों से अय्याशी चल रही है.
1 सितंबर- अपने लिए बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, बंगले और अब अपने खास लोगों के लिए “चार्टर जहाज” इन सब के लिए पैसे हैं, लेकिन जैसे ही बात जनता की आती है राज्य सरकार के पास पैसे कम पड़ जाते हैं.
बाबूलाल मरांडी के बयान
30 सितंबर- झारखंड की काली कमाई विदेशों में लेकर उसे काला-उजला बनाने वाली जेल में बंद आईएएस पूजा सिंघल अकेली नहीं हैं. भारत सरकार की पैनी नजर और सख़्ती के बाद झारखंड के और कई अधिकारियों ने यह हवाला गोरखधंधा कर रखा है. ईडी गहराई से जांच करे.
29 सितंबर- पहले रविवार के बदले स्कूलों में शुक्रवार जुम्मे की छुट्टी, फिर हाथ जोड़कर प्रार्थना की पद्धति को बंद करवाना और अब पलामू के 49 सामान्य स्कूलों को शिक्षकों ने अपने मन से उर्दू स्कूल बना दिया. सरकार भी इन शिक्षकों को उर्दू स्कूल के नाम से ही वेतन निर्गत करती रही है.
28 सितंबर- परिवारवादी कंपनी टाईप पार्टी में एक्सीडेंटल उत्तराधिकार के औरंगजेबी हुकूमत की पीड़ा क्या होती है. उनके जिन ज्ञानी नौकरों को यह समझ में नहीं आ रहा वो लोबिन हेम्ब्रम, स्टीHन मरांडी और सीता सोरेन जैसे सीनियर लोगों से अकेले में जा कर पूछ लें.
27 सितंबर- साहिबगंज जिले में एक हजार करोड़ का घोटाला. वह भी सिर्फ एक पत्थर अवैध खनन से. यह सिर्फ माफिया-गुंडे व सत्ताधारी के बस की बात नहीं. मैं शुरू से कह रहा हूं कि इसमें साहिबगंज से लेकर रांची तक बैठे कुछ अधिकारियों की संलिप्तता है.
26 सितंबर- जिस पार्टी में बाप एमपी, बेटा एमएलए और मुख्यमंत्री, भाई एमएलए, भाभी एमएलए पहले बन जाय और उसके बाद ही बचे तो दूसरे किसी का नम्बर आये. ऐसी पार्टियों को ही प्राइवेट कंपनी टाइप परिवारवादी पार्टी कहते हैैं.
23 सितंबर- झारखंड की बदनामी इस बात को लेकर थी कि इस राज्य में जायज कार्यों में भी उग्रवादी लेवी वसूलते हैं, लेकिन देश में इस राज्य का इकलौता मुख्यमंत्री ऐसा है जो अपने विधायक प्रतिनिधि के माध्यम से अवैध खदान, क्रशर से लेवी वसूलता है.
21 सितंबर- कांग्रेस की एक विधायक गोडडा जिले में उस नेशनल हाईवे में गड्ढे के खिलाफ धरने पर बैठ गई हैं जिसके रख रखाव का जिम्मा झारखंड सरकार के पास है. केन्द्र ने तो पैसे भी राज्य सरकार को दे दिये हैं. लगता है मुख्यमंत्री के रवैये से खफा कांग्रेसी अब उन्हें निशाना बना रहे हैं.
19 सितंबर- सरकार ने पूर्व न्यायिक निर्णयों की समीक्षा किए हड़बड़ी में1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का प्रस्ताव पारित कर दिया. लगता है सिर्फ राजनैतिक लाभ की लालसा में सरकार ने हड़बड़ी में यह निर्णय लिया है.
14 सितंबर- डीएनए में डर नहीं की बात करने वाले हेमंत सोरेन को किसी भी जांच के नाम से डर के मारे पसीने क्यों छूटने लगते हैं.
13 सितंबर- जब-जब हेमंत सोरेन की सरकार अपने घपलेबाजी और लूट को लेकर संकट में आती है, तो ये लोग आदिवासी कार्ड खेलना शुरू कर देते हैं. जनता का ध्यान भटकाने के लिये पूरा जेएमएम कुनबा ”आदिवासी मुख्यमंत्री को पचा नहीं पा रहें हैं” सामंतवादी लोग हमें परेशान करते हैं जैसे राग अलापने लगते हैं.
12 सितंबर- सुना है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राजा कहलाने का जो शौक है वह यूं ही नहीं है. लोकपाल मामले में सीबीआई की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में सोरेन परिवार के 82 सम्पत्तियों का अबतक खुलासा हुआ है. ऐसे में उस परिवार के राजकुमार को राजा साहब के नाम से ही पुकारा जाना चाहिए.
3 सितंबर- झारखंड के आदिवासी बच्चियों पर अत्याचार का ये सिलसिला कब थमेगा. दुमका में एक और नाबालिग आदिवासी बच्ची राज्य की ध्वस्त हो चुकी कानून व्यवस्था की भेंट चढ़ गई. जेहादी तत्व सुनियोजित तरीके से संथाल के सांस्कृतिक ढांचे की कब्र खोद रहे हैं और मुख्यमंत्री की नींद नहीं खुल रही है.
2 सितंबर- दुमका समेत पूरे संथाल परगना में प्रतिबंधित बांग्लादेशी संगठन सक्रिय है, जो सुनियोजित तरीके से लड़कियों को अपने जाल में फंसा कर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर कर रहे हैं. यह गहरी साजिश कहीं न कहीं संथाल के आदिवासी समाज के अस्तित्व को समाप्त करने की दिशा में एक गहरा षड्यंत्र है.
रघुवर दास के प्रमुख बयान
30 सितंबर- झारखंड में खेल प्रतिभा भरी पड़ी है. हमारी सरकार ने अच्छी सुविधा दी तो खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. हेमंत सरकार खिलाड़ियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. यह कैसी खेल नीति बनाई है हेमंत सोरेन ने जिससे खिलाड़ी न केवल परेशान हो रहे हैं, बल्कि शर्मिंदा हो रहे हैं.
28 सितंबर- जब जेहादी उपद्रवियों पर नरमी व इन्हें रोकनेवालों पर कार्रवाई होगी, तो इनका मनोबल बढ़ेगा ही. इनकी हिम्मत इतनी हो गई है कि राजधानी की मुख्य सड़क पर स्थित हनुमान जी की प्रतिमा क्षतिग्रस्त कर दी. ये हर दिन सरकार को ललकार रहे हैं और तुष्टिकरण से पीड़ित हेमंत सरकार बेचारी बनी हुई है.
26 सितंबर- हेमंत सरकार के शासन में बलात्कारियों की हिम्मत काफी बढ़ गई है. झारखंड में हर दिन महिलाओं की आबरू लूटी जा रही है और हेमंत सरकार अपने गाल बजाने में व्यस्त है. इस बेशर्म और बेपरवाह सरकार को जनता सबक सिखाएगी.
24 सितंबर- 1932 खतियान व आरक्षण मामले में हेमंत सरकार लोगों को गुमराह कर रही है. बिना समुचित प्रक्रिया पूर्ण किए इन्हें लागू करना संभव नहीं यह मुख्यमंत्री जानते हैं और सदन में माना भी है. भ्रष्टाचार और वादाखिलाफी के कारण उत्पन्न लोगों के आक्रोश को दबाने के लिए झूठी घोषणा की जा रही हैं.
23 सितंबर- सरकार ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता परिभाषित की. जबकि इस बजट सत्र में 22 मार्च 2022 को स्वयं मुख्यमंत्री ने इसकी वैधानिकता के बारे में विधानसभा में सवाल उठाये थे. स्पष्ट है कि यह स्थानीय नीति उलझाने, लटकाने और भटकाने की नियत से घोषित की गयी है.
20 सितंबर- झारखंड में अब शायद ही ऐसा कोई दिन ऐसा होता है कि अखबार में किसी बच्ची के साथ दरिंदगी की खबर न छपी हो. सबसे ज्यादा शिकार आदिवासी और दलित बच्चियां हो रही हैं. तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति ने हेमंत सरकार के हाथ बांध दिए हैं.
11 सितंबर- हिम्मत वाली हेमंत सरकार सो रही है. कोई शोर न करे. जब तक झारखंड में तालिबानी शासन कायम न हो जाए, तब तक हेमंत सरकार सोई रहेगी. राज्य में हर दिन जिहादी ताकतें हमारी बेटियों को टार्गेट कर रही हैं और हेमंत सोरेन इन्हें छोटी-मोटी घटनाएं बताकर इन जिहादियों का मनोबल बढ़ा रहे हैं.
3 सितंबर- झारखंड पर राष्ट्रविरोधी शक्तियां पूरी तरह हावी हैं. हेमंत सरकार के ढीले रवैया के कारण इनका मनोबल लगातार बढ़ रहा है. अपने भ्रष्टाचार से बचने के लिए दिनभर आदिवासी का विक्टिम कार्ड खेलनेवाले हेमंत सोरेन बताएं क्या जो मारे गए वे आदिवासी नहीं हैं. उनके प्रति आपकी संवेदना क्यों नहीं है.
3 सितंबर- 5 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर हेमंत सरकार बहुमत साबित करेगी. इसकी न तो विपक्ष ने मांग की है और न ही राज्यपाल ने आदेश दिया, फिर यह दिखावा क्यों. एक दिन के सत्र पर लाखों रुपए खर्च होंगे. राज्य पर अनावश्यक बोझ क्यों डाल रही है हेमंत सरकार.
सितंबर में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं के 14 बयान
सितंबर महीने में कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर काफी उत्साह में रही. सदन में कांग्रेस के समर्थन से सरकार ने बहुमत साबित किया. वहीं इसी बीच ओबीसी आरक्षण, 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओल्ड पेंशन योजना जैसे सरकार के लिए गये फैसले भी कांग्रेस का उत्साह बढ़ाती रही. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, विधायक दल के नेता आलमगीर आलम और मंत्री रामेश्वर उरांव ने सितंबर में क्या-क्या कहा, पढ़िये कांग्रेस के दिये गये 14 बयान.
राजेश ठाकुर के बयान
21 सितंबर- कांग्रेस कार्यकर्ताओं को समाज में बढ़ रही नफरत , बेरोजगारी, कमरतोड़ महंगाई के खिलाफ आम जनों को जागृत करने का काम करना है. कांग्रेस की विचारधारा एवं संदेशों को प्रचारित– प्रसारित करना है. प्रदेश की महागठबंधन सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में भी हमें अहम भूमिका निभानी है.
18 सितंबर- महागठबंधन की सरकार जो बोलती है उसे पूरा करके दिखाती है. चुनाव में जनता से किये गये वादे के अनुरूप सरकार अपना कार्य कर रही है. वहीं भाजपा आज तक स्थानीयता और आरक्षण के नाम पर सिर्फ राजनीति करती आयी है. पहली बार महागठबंधन की सरकार खतियान के आधार पर स्थानीयता और ओबीसी, एसटी, एससी को आरक्षण प्रस्ताव को कैबिनेट से पास करवा दी है. जो राज्य की जनता के लिए काफी हर्ष का विषय है.
14 सितंबर- स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण के नाम पर आज तक सिर्फ राजनीति होती रही है. पहली बार महागठबंधन ने इसे नीतिगत रूप से कैबिनेट में स्वीकृति प्रदान की है l ओबीसी आरक्षण के प्रतिशत में वृद्धि के लिए कांग्रेस ने सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन भी किया था, वहीं अब स्थानीय नीति बनने से राज्य के युवाओं को पलायन नहीं करना पड़ेगा.
13 सितंबर- 137 वर्षों में कांग्रेस के कई अवतार हुए और अब एक नया अवतार होगा. राहुल गांधी की पदयात्रा को जिस तरह स्वतः जनमानस का समर्थन मिल रहा है उसे यह तय हो गया कि कांग्रेस जनता के दिलों में आज भी गहराई से समाई हुई है. पदयात्रा पर बीजेपी का जिस प्रकार लगातार कटाक्ष हो रहा है, उससे यह साबित करता है कि उसके अंदर खाने में खलबली मची हुई है.
8 सितंबर- भारत जोड़ो यात्रा इतिहास लिखेगी. यह एकता की शक्ति दिखाने, कदम से कदम मिलाने और सपनों का भारत बनाने के लिए है. यह पूरे देश की यात्रा है. आज करोड़ों लोग महसूस करते हैं कि भारत को एकजुट करने के लिए यह यात्रा काफी लाभदायक साबित होगा.
7 सितंबर- आज कन्याकुमारी से कश्मीर के लिए भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत हो चुकी है. राहुल गांधी की बड़ी सोच इस यात्रा के पीछे है. उनका मानना है कि देश में महंगाई, बेरोजगारी और जीएसटी के कारम आर्थिक विषमताएं हैं. ऐसे में भारत को जोड़ना जरूरी है.
आलमगीर आलम के बयान
28 सितंबर- किसी को भी किसे के आस्था को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है. जो भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम करता है वो गलत और निंदनीय है. देश की परंपरा सौहार्दपूर्ण वातावरण में रहने की रही है. इसे राजनीतिक तरीके से तूल देने की जरूरत नहीं है.
21 सितंबर- निश्चित रूप से 2024 में कांग्रेस को सफलता मिलेगी. जिस प्रकार से महंगाई, बेरोजगारी और नफरत की राजनीति के विरोध में हम सभी जनता के साथ खड़े हैं उसमें सफलता मिलेगी.
16 सितंबर- 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता तय करने के मामले में विधानसभा के सत्र में व्यापक चर्चा की जायेगी. यह मामला हर सरकार में उठता रहा है. सत्र में हर बिंदु पर चर्चा करेंगे. जो नेता नाराज हैं उनकी बात भी सुनेंगे.
10 सितंबर- मुख्यमंत्री की सदस्यता को लेकर 25 अगस्त से ही उहापोह चल रहा है. इस मामले का राज्यपाल कब तक खुलासा करेंगे कहना मुश्किल है, लेकिन समय का तकाजा है. आम लोग भी जानना चाहते हैं आखिर क्या होगा. जो भी निर्णय हो पक्ष में हो या विपक्ष में उसके लिए सरकार तैयार है.
रामेश्वर उरांव के बयान
28 सितंबर- नौकरी में आरक्षण देने का काम तब तक सफल नहीं हो सकता, जब तक शिक्षा में आरक्षण नहीं मिलता है. मेरी नजर में आरक्षण का मतलब सत्ता में हिस्सेदारी है.
11 सितंबर- इस वर्ष खराब मानसून के कारण राज्य के कई जिलों में सूखे जैसी स्थिति है. सिंचाई सुविधाओं का अभाव भी इसका बड़ा कारण है. ऐसे में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना बड़ा मुद्दा है. पोषण सुरक्षा से ही झारखंड के विकास का लक्ष्य हासिल होंगे. सरकार ने 20 लाख परिवारों तक राशन पहुंचाने के लिए ग्रीन कार्ड जारी किए हैं.
2 सितंबर- गठबंधन की सरकार में कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद शामिल हैं. हमारे पास इतना संख्या बल है कि कोई चाह कर भी सरकार का कुछ नहीं कर सकता है. कोई भी पार्टी चाहे कुछ भी प्रयास कर ले, वह सरकार नहीं गिरा पाएगी. इस प्रकार का प्रयास ही व्यर्थ है.
1 सितंबर- राज्य सरकार पर भरोसा रखें. अगर कोई बहकाए तो उसके बहकावे में नहीं आएं. जनतंत्र में सुलझाने का तरीका है और सरकार संवेदनशीलता के साथ जनभावनाओं का पूरा सम्मान करती है.