Koderma : विज्ञान के आविष्कार लोगों के लिए वरदान और अभिशाप दोनो हैं. इसका असर आये दिन मानव जीवन पर पड़ता देखा जा रहा है. लगभग हर दिन नयी टेक्नोलॉजी से लोग वाकिफ हो रहे हैं. खासकर मोबाइल का इस्तेमाल लोगों के लिए जरूरी दिनचर्या में शामिल है. मोबाइल से लोगों को कनेक्टिविटी में बहुत सुविधा हो रही है. कई काम घर बैठे हो रहे हैं. लेकिन दूसरी ओर मोबाइल के दुष्परिणाम भी हैं. खासकर बच्चों के लिए मोबाइल कितना नुकसानदेह है, इसका असर लगभग हर दिन देखने को मिल रहे हैं. (पढ़ें, लेखा-जोखा: भाजपा के आरोपों पर झामुमो-कांग्रेस के नेता रहे मुखर)
कोरोना काल में बच्चों को लगी मोबाइल की लत
कोरोना काल के दौरान बच्चों के क्लास ऑनलनाइन होने लगे थे. ऑनलनाइन क्लास के कारण बच्चों को फोन की लत लग गयी. जो अभी तक नहीं गयी है. बच्चे आधा से ज्यादा समय फोन में गेम खेलने और फिल्में देखने में बर्बाद कर दे रहे हैं. इससे उनकी पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. 24 घंटे मोबाइल में घुसे रहने के कारण बच्चे चिड़चिड़े भी हो रहे हैं. इतना ही नहीं कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास की आड़ में बच्चे फोन पर पॉर्न फिल्में देखने लगे थे. यूट्यूब पर भी वेब सीरीज देखकर उसे अपने जीवन में उतारने की कोशिश करने लगे हैं. जिससे बाल अपराध बढ़ रहे हैं. हर 10 केस में 5 केस बाल अपराध से जुड़े हैं.
मोबाइल के कारण भाई ने दूसरे भाई की ले ली थी जान
21वीं सदी में बच्चें स्टेट्स मेंटेन करने के लिए फोन रख रहे हैं. पेरेंट्स भी बच्चों को महंगे-महंगे फोन देकर समाज में अपना रूतबा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. कोडरमा के डोमचांच थाना क्षेत्र के गैठीबाद में कुछ दिन पहले बाल अपराध का मामला सामने आया था. जहां 11 वर्षीय भाई ने मोबाइल के कारण अपने 13 वर्षीय भाई की चाकू घोंपकर हत्या कर दी थी. इसके अलावा झारखंड समेत देश में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जायेंगे.
मोबाइल के कारण आंखों की समस्याएं हो रही उत्पन्न-चाइल्ड स्पेशलिस्ट
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर डॉ नीरज चंद्रा ने कहा कि हर दिन आंखों की समस्या लेकर सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी आ रहे हैं. ज्यादा मोबाइल चलाने के कारण यह समस्याएं उत्पन्न हो रही है. इसलिए इस पर नियंत्रण बहुत जरूरी है. जहां एक और मोबाइल लोगों के लिए उपयोगी साबित होने का एक वैज्ञानिक डिवाइस माना गया है. परंतु इसके गलत प्रयोग ने मानव जीवन को प्रभावित किया है. गूगल के माध्यम से तरह-तरह की चीजों को सीख कर लोग इसे अपने जीवन में उतारते हैं. इसका दुष्प्रभाव मनुष्य को स्वयं भुगतना पड़ रहा है.
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