Adityapur (Sanjeev Mehta) : सुवर्णरेखा बहुद्देश्यीय परियोजना इन दिनों फंड के अभाव से जूझ रहा है. 30 मई को रिटायर हो रहे चांडिल कॉम्प्लेक्स के मुख्य अभियंता अशोक कुमार दास ने बताया कि चांडिल डैम में इस वर्ष भी 185 मीटर पानी का स्टोरेज नहीं हो सकेगा. चूंकि फंड के अभाव में विस्थापितों के मुआवजे पर ब्रेक लग गई है. मुख्य अभियंता ने कहा कि चांडिल डैम के 43 अति प्रभावित गांव के विस्थापितों को मुआवजा देने के लिए 114 करोड़ रुपए की जरूरत है, तभी 43 गांव खाली होंगे और डैम में 185 मीटर जलस्तर रखना संभव हो सकेगा.
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झारखंड पुनर्वास नीति को 2027 तक विस्तार मिला – अशोक
बता दें कि प्रशासक के तकनीकी सचिव मनोज कुमार सिंह अप्रैल में रिटायर हो चुके हैं और 31 अगस्त 2023 को परियोजना की अपर निदेशक रंजना मिश्रा भी रिटायर हो जाएंगी. वहीं सरकार सेवानिवृत्त हो रहे पदाधिकारियों की जगह किसी अन्य पदाधिकारी की नियुक्ति भी नहीं कर रही है. ऐसे में सुवर्णरेखा परियोजना सफेद हाथी बनकर रह जायेगा. परियोजना की अपर निदेशक रंजना मिश्रा ने बताया कि झारखंड पुनर्वास नीति को 2027 तक विस्तार मिला है. इसके बाद ईचा डैम के विस्थापितों के लिए मिले करीब 60 करोड़ रुपये से अब तक चांडिल डैम के विस्थापितों की विकास पुस्तिका बनाने और उन्हें मुआवजा देने का काम चल रहा था, लेकिन अब यह फंड भी शून्य हो चुका है. ऐसे में विस्थापितों को मुआवजा देने और उन्हें पुनर्वासित करने के कार्य पर ब्रेक लग गई है.
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43 प्रभावित गांव के विस्थापितों को देने के लिए चाहिए 114 करोड़ –
अपर निदेशक ने बताया कि अभी चांडिल डैम में 43 अति प्रभावित गांव के विस्थापितों को मुआवजा देने के लिए 114 करोड़ रुपये की और जरूरत है. चूंकि मुआवजा देने के बाद ही 43 गांव के लोग गांव खाली करेंगे, अगर ऐसा हुआ तभी डैम में 185 मीटर जलस्तर रखना संभव हो सकेगा. उन्होंने बताया कि डैम में 185 मीटर जलस्तर होगा, तभी ओडिशा और पश्चिम बंगाल को करार के मुताबिक पानी दिया सकेगा और चांडिल डैम में बने सात मेगावाट बिजली संयंत्र को चालू किया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि अपर निदेशक कार्यालय अभी प्रत्येक 15 दिनों पर विकास पुस्तिका समिति की बैठक कर विस्थापित को विकास पुस्तिका जारी कर रही है, लेकिन उन्हें समय पर फंड नहीं मिल रहा है तो यह कार्य भी फिलहाल रोक दी गई है.
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