New Delhi : आम आदमी पार्टी (आप) ने आज शनिवार को आरोप लगाया कि दिल्ली में नौकरशाहों के तबादले से जुड़ा केंद्र का अध्यादेश असंवैधानिक है और यह सेवा संबंधी मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार को दी गयी शक्तियों को छीनने के लिए उठाया गया एक कदम है. दिल्ली की मंत्री आतिशी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्र सरकार ने यह अध्यादेश लाने के लिए जानबूझकर ऐसा समय चुना, जब सुप्रीम कोर्ट अवकाश के कारण बंद हो गया है. नेशनल खबरों के लिए क्लिक करें
ये अध्यादेश दिखाता है –
Modi जी को Kejriwal जी से कितना डर लगता हैवो छोटे से राज्य में 6 महीने के लिए केजरीवाल को ताक़त नहीं देना चाहते।
क्योंकि उन्हें पता है कि केजरीवाल सरकार 6 महीने में वो चमत्कारी काम करके दिखाएगी जिसे पूरा देश देखेगा।
– @AtishiAAP pic.twitter.com/Su4ZJ7XerO
— AAP (@AamAadmiParty) May 20, 2023
मोदी को केजरीवाल और ईमानदार राजनीति से डर लगता है
केंद्र सरकार ने दानिक्स काडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए ‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित करने के उद्देश्य से शुक्रवार को एक अध्यादेश जारी किया था. बता दें कि अध्यादेश जारी किये जाने से महज एक सप्ताह पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था. आतिशी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार का यह अध्यादेश दर्शाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और ईमानदार राजनीति की शक्ति से डर लगता है.
लोगों ने केजरीवाल को वोट दिया है, लेकिन वह दिल्ली को नहीं चलायेंगे

आतिशी ने कहा, उन्हें (मोदी को) डर लगता है कि यदि केजरीवाल को शक्ति मिल गयी, तो वह दिल्ली के लिए असाधारण काम करेंगे. यह अध्यादेश 11 मई को उच्चतम न्यायालय द्वारा आप को दी गयी शक्तियां छीनने की एक कोशिश है. मंत्री ने कहा कि यह अध्यादेश कहता है कि दिल्ली के लोगों ने भले ही केजरीवाल को वोट दिया है, लेकिन वह दिल्ली को नहीं चलायेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने इस अध्यादेश को लाने के लिए जानबूझकर कल (शुक्रवार) रात का समय चुना. उच्चतम न्यायालय छह सप्ताह के अवकाश के कारण बंद हो गया है. आतिशी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने आठ साल की लंबी लड़ाई के बाद दिल्ली सरकार को शक्तियां दी हैं, लेकिन केंद्र इसे बर्दाश्त नहीं कर सका.
फैसले केंद्र के नौकरशाहों द्वारा किये जायेंगे
अध्यादेश तीन सदस्यों वाले राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के गठन की बात करता है, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे और मुख्य सचिव एवं प्रमुख गृह सचिव इसके सदस्यों के रूप में काम करेंगे, लेकिन इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि मुख्य सचिव एवं प्रमुख गृह सचिव की नियुक्ति केंद्र करेगा. उन्होंने कहा, प्राधिकरण बहुमत से फैसले करेगा. इसका मतलब है कि फैसले केंद्र के नौकरशाहों द्वारा किये जायेंगे. अगर वह कोई ऐसा फैसला करता है, जो केंद्र को पसंद नहीं है, तो उपराज्यपाल के पास उसे पलटने का अधिकार होगा.