Vinit Upadhyay
Ranchi : झारखंड में इन दिनों आरटीआई कार्यकर्ता पुलिस के निशाने पर है. ताज़ा मामला धनबाद जिले का है. जहां सूचना अधिकार कार्यकर्ता को एक झूठे केस में फंसाने और जेल भेजने की कोशिश की गई. धनबाद के बाघमारा में रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता महेश के मुताबिक बाघमारा थाना में तैनात एक दरोगा से किसी बात को लेकर उनकी अनबन हो गई. इसके बाद एक मामूली से झगड़े को छेड़खानी के केस में तब्दील कर दिया गया.
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न्यायालय ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी
उनके ऊपर प्राथमिकी दर्ज करवायी गई. ताकि उन्हें जेल भेजा जा सके. लेकिन न्यायालय ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी और जमानत के आदेश में यह कहा कि आरोपियों पर महिला ने शील भंग करने का आरोप लगाया है. जो की काफी सामान्य है. यह संदिग्ध प्रतीत होता है कि दो सगे भाई एक साथ प्लान बना कर किसी महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से जाएंगे.
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पूरी घटना से पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं
न्यायालय से अग्रिम जमानत मिलने के बाद महेश कुमार ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को भी पत्र लिखकर इस पूरे प्रकरण की जानकारी देते हुए कार्रवाई करने का आग्रह किया है. लेकिन इस पूरी घटना से पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. महेश कुमार ने धनबाद के कई अधिकारियों के खिलाफ आरटीआई दाखिल कर बड़ी जानकारियां इकट्ठा की है और उन जानकारियों के आधार पर उचित फोरम में शिकायत भी दर्ज कराई गई है.
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