Ranchi : राज्य की नई उत्पाद नीति को झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ ने महज एक दिखावा बताते हुए इसे लूट खसोट की नीति बतायी है. शुक्रवार को कांके रोड स्थित उत्पाद भवन में संघ के लोगों ने नीति और अप्रैल माह के राजस्व को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. संघ के लोगों का कहना है कि सरकार को अप्रैल माह के दिये स्टॉक के आधार पर ही राजस्व लेनी चाहिए. विरोध प्रदर्शन में जमशेदपुर, हजारीबाग, रामगढ़, बोकारो सहित राज्य के कई जिलों के शराब व्यापारी उपस्थित थे.
व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा
सचिव सुबोध कुमार जायसवाल ने बताया कि खुदरा शराब दुकानदारों को मांग के अनुरूप न तो पॉपुलर ब्रांड की बियर और विदेशी-देसी शराब की आपूर्ति की जा रही है और न ही थोक विक्रेताओं के पास लोकप्रिय ब्रांड की बियर और विदेशी-देसी शराब उपलब्ध है. नतीजतन, खुदरा लाइसेंसधारियों को उनके द्वारा की जा रही मांग के अनुसार शराब की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. इसकी वजह से उनका व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.
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उत्पाद सचिव के समक्ष रखी अपनी समस्याएं
उन्होंने कहा कि विभिन्न जिलों से आए शराब व्यापारियों ने अपनी समस्या उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे के समक्ष रखा. उन्हें बताया गया कि अप्रैल माह में उठे हुए कोटा पर ही राजस्व ली जाए. कारण यह है कि अब 1 सप्ताह यानी कि 30 अप्रैल तक ही दुकानों में पड़ी हुई शराब वैध होंगी. 30 अप्रैल के बाद अवैध घोषित हो जाएंगी. अभी तक व्यापारियों के लाइसेंस की अवधि 30 अप्रैल तक ही है. अब माल की सप्लाई होने पर भी कोई लाभ नहीं मिलना है. काफी नुकसान हो चुका है, इसलिए अप्रैल का जितना कोटा का उठाव हुआ है, उसी पर 25 अप्रैल को ETD (एक्साइ ट्रांसपोर्ट ड्यूटी) लिया जाए. इस पर उत्पाद सचिव ने कहा है कि पूरे मामले को समझ कर राहत देने का फैसला करेंगे.
उत्पाद विभाग समय पर स्टॉक उपलब्ध कराने में विफल
संघ के लोगों का कहना है कि नयी उत्पाद नीति आने के बाद वित्तीय वर्ष 2022-23 में मात्र एक माह का विस्तारीकरण करने के बाद माह अप्रैल 2022 में 21 अप्रैल तक उत्पाद विभाग अपने सभी गोदामों में पर्याप्त मात्रा में विदेशी- देसी शराब एवं बियर उपलब्ध कराने में असफल रहा है. ऐसे में बचे हुए 8 दिनों में भी किसी प्रकार का संज्ञान नहीं लिया जा रहा है. अब माह के अंतिम बचे हुए दिनों में विदेशी-देसी शराब एवं बियर उपलब्ध करा भी दिया जाता है, तो कम दिनों में पूरे माह का कोटा बेच पाना संभव नहीं है और शत-प्रतिशत स्टॉक बचे रहना तय है. ऐसी स्थिति में अप्रैल माह में शराब के उठाव के आधार पर ही राजस्व लिया जाए.
यह नीति राज्य में लूट-खसोट के लिए लायी गयी है
नी उत्पाद नीति का विरोध करते हुए संघ के लोगों का कहना है कि यह नीति राज्य में लूट-खसोट के लिए लायी गयी है. नीति का नोटिफिकेशन में दिखाया गया है कि JSBCl ही शराब और थोक और खुदरा विक्रेता का काम करेगी. इसके माध्यम से राज्य सरकार प्राइवेटाइजेशन कर अपना पॉकेट भरने का काम कर रही है.
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