Bahragora : झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ दिनेश कुमार षाड़ंगी के छोटे भाई और पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी के चाचा वरिष्ठ अधिवक्ता द्विजेन कुमार षाड़ंगी उर्फ कुनू बाबू साल के अंत में सभी को रुला कर इस दुनिया से चले गए. अति सहज, सरल और सामाजिक कुनू बाबू को उनके पैतृक गांव बहरागोड़ा के गंडानाटा में अंतिम विदाई देने जन सैलाब उमड़ा. सभी ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी. विशाल शव यात्रा निकली. ग्रामीण क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता का ही असर था कि उनका अंतिम दर्शन करने के लिए गांव के लोग सड़क पर उतर आए. 30 दिसंबर को उनके पैतृक गांव में उनका श्राद्ध कर्म होगा और उनकी तस्वीर पर पुष्प अर्पित करने के लिए लोग उमड़ेंगे.
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1978 से 2000 तक गंडानाटा ग्राम पंचायत के मुखिया रहे
द्विजेन कुमार षाड़ंगी का जन्म पैतृक गांव गंडानाटा में 11 नवंबर 1951 में हुआ था. 1978 से 2000 तक गंडानाटा ग्राम पंचायत के मुखिया और बहरागोड़ा प्रखंड विस सूत्री के चेयर मैन रहे. उन्होंने गंडानाटा एसएस हाई स्कूल से मैट्रिक पास के और ओडिशा के बारिपदा के एमपीसी कॉलेज से बीए पास किया. बीए के बाद कटक स्थित मधुसूदन राव कॉलेज से एलएलबी ( उत्कल यूनिवर्सिटी ) लॉ कॉलेज के छात्र एवं युवा नेता के रूप में ओडिशा की राजनीति में प्रवेश किया. ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक के वे चहते युवा नेता रहे. बाद में मंत्री विजय महापात्र, श्रीकांत जेना,नलिनी महंती, चित्त महंती के साथ उत्कल कांग्रेस के युवा संगठन का नेतृत्व किया. सीपीएम नेता विमान बोस उनके सहपाठी थे.
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कुनू बाबू जेपी आंदोलन में आंदोलनकारियों के बने थे ढाल
एलएलबी करने के बाद वे अपने पैतृक गांव गंडानाटा लौटे और युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने. सरदार बलदेव सिंह, सुरेश खेतान, विश्वनाथ रथ, मनमथ दास के साथ जिला युवा कांग्रेस का नेतृत्व किया. इमरजेंसी में वे जेपी आंदोलन के आंदोलनकारियों की ढाल बने. फिर वे रवि राय, किशन पटनायक , दिनेश दास गुप्ता, युधिष्ठिर दास , राजा राम सिंह के सम्पर्क में आये. 1972 से 1980 तक वे अविभाजित सिंहभूम के युवा जनता पार्टी के महामंत्री के रूप में अध्यक्ष मेवा लाल होनहारा के साथ दायित्व निभाया.1980 के विधान सभा चुनाव मे एनई होरो की नेतृत्व वाली झारखंड पार्टी के नागाड़ा छाप पर बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में विधान सभा चुनाव लड़ा और 18000 से अधिक मत लाकर तीसरे स्थान पर रहे. 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व वाले जनता दल से जुड़े और संगठन का दायित्व निभाया. 1998 में एन गोविंदाचार्य के समक्ष अपने बड़े भाई डॉ दिनेश कुमार षाड़ंगी के साथ भाजपा की पूर्वी सिंहभूम जिला कमेटी में शामिल हुए थे. सन् 2000 से लेकर 2019 के आम चुनाव तक बहरागोड़ा विधानसभा में मुख्य भूमिका निभाई. वे चाकुलिया कृषि उत्पादन बाजार समिती के पांच बार उपाध्यक्ष रहे.
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झारखंड अलग राज्य आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई
वनवासी पंचायत के साथ जुड़ कर झारखंड अलग राज्य आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई. क्षेत्र की जनजातिय लोगों से उन्हें गहरा प्रेम था. ओडिया, बांग्ला, हिन्दी, अंग्रेजी, संथाली और मुंडारी भाषा के वे धारा प्रवाह वक्ता थे. उन्हें बहरागोड़ा की राजनीति का चाणक्य कहा जाता था. उनकी रणनीति में ही उनके बड़े भाई डॉ दिनेश षाड़ंगी वर्ष 2000 और 2004 में तथा भतीजा कुणाल षाड़ंगी 2014 के विधानसभा चुनाव में बहरागोड़ा विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए. 72 वर्ष की उम्र में कुनू बाबू ने मुंबई स्थित अपने आवास में अंतिम सांस ली. उनके निधन पर गहरा शोक जताते हुए उनके बड़े भाई पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ दिनेश कुमार षाड़ंगी ने कहा कि मेरा लक्ष्मण भाई चला गया और मेरा दाहिना हाथ ही कट गया.