Amit Singh
Ranchi: अगर आप सप्लाई वाटर बिना उबाले या फिल्टर किये पीते हैं, तो सावधान! क्योंकि रांची शहर में सप्लाई होने वाले पानी की बैक्टिरियल जांच नहीं होती. बिना बैक्टिरियल जांच के ही सप्लाई वाटर वीवीआइपी सहित आम लोगों के घरों तक पहुंचता है. जिसमें ई-कोलाइ पैथोजोनिक नाम की घातक बैक्टिरिया आदि हो सकता है. राजधानी के तीनों डैम, कांके, हटिया रूक्का के रॉ वाटर में घातक बैक्टीरिया हैं.
पेयजल विभाग द्वारा रोजाना हमारे पीने के पानी में बैक्टीरिया मारने के लिए ही 1.5 मिलीग्राम क्लोरीन गैस मिलाया जाता है. मगर आखिरी कंज्यूमर प्वाइंट तक पहुंचते-पहुंचते पानी में मौजूद क्लोरीन गैस गायब हो जाता है. ऐसे में बैक्टीरिया फिर से पानी में जन्म ले लेता है. पानी बैक्टीरिया मुक्त है या नहीं, यह बताने वाला विभाग में एक भी अधिकारी नहीं है.
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किसी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में नहीं होती बैक्टीरिया जांच
हटिया डैम के रॉ वाटर में ई-कोलाइ नाम का बैक्टीरिया नियमित रूप से मिलता है. रुक्का और कांके डैम के पानी में बाहरी स्रोतों से गदंगी भी मिलती है. वहां रॉ वाटर में ई-कोलाइ के साथ-साथ पैथोजोनिक बैक्टीरिया मिलता है. उन्हीं बैक्टीरिया को मारने के लिए पानी में क्लोरिन मिलाया जाता है.
राजधानी में हटिया, रुक्का और गोंदा डैम से पेयजलापूर्ति होती है. तीनों प्लांट में वाटर टेस्टिंग लैब है. जिसका संचालन प्राइवेट कंपनियों को सौपा गया है.
किसी भी प्लांट में नहीं होती बैक्टीरिया की जांच
रांची के तीनों वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में सिर्फ टरबिडिटी,क्लोरीन और पीपी की जांच होती है. मगर किसी प्लांट में बैक्टीरिया की जांच नहीं होती. जांच के नाम पर कागजी खानापूर्ति कर शहर में पानी की सप्लाई की जा रही है. जबकि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में बैक्टीरिया जांच के साथ हर घंटे पानी का सैपल लेकर जांच करने का नियम है. मगर नियम कागज में ही प्रभावी है.
नियमित नहीं होती ओवर हेड टैंक और संप की सफाई
शहर में 10 से ज्यादा संप ओवर हेड टैंक हैं, जिससे शहर के विभिन्न इलाकों में जलापूर्ति होती है. नियमतः छह माह में संप ओवर हेड टैंक की सफाई होनी चाहिए. जिससे उसमें काई या कीचड़ जमा हो. बैक्टीरिया अपना घर संप टैंक में नहीं बना सके. मगर शहर के किसी भी संप टैंक की सफाई नहीं होती.
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रोजाना 4.25 करोड़ गैलन पानी की आपूर्ति
राजधानी के 55 वार्ड 175 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले हैं. इनमें रहने वाली 70 फीसदी आबादी पाइप लाइन जलापूर्ति व्यवस्था पर निर्भर है. आइएमसीएस संस्था के सर्वेक्षण के अनुसार, रांची में 1.10 लाख लोगों के पास वाटर कनेक्शन है. जिन्हें रोजाना 4.25 करोड़( 43 एमजीडी) गैलन पानी की आपूर्ति गोंदा, रुक्का और हटिया डैम से की जाती है.
पानी में मौजूद बैक्टीरिया से फैलती है कई गंभीर बीमारियां
पानी में अगर बैक्टीरिया हो तो कई बीमारी हो सकती है. पाचन तंत्र खराब हो सकता है. पीलिया, डायरिया आदि होने का खतरा बना रहता है. एक स्वस्थ शरीर की हर किसी की चाहत होती है, किन्तु कई अनियमितताओं के चलते हम किसी न किसी बीमारी की चपेट में आ ही जाते हैं. शरीर के रोगग्रस्त होने पर कई बार तो पता ही नहीं चलता कि बीमारी आयी कहां से.
बहुत सी बीमारियां मौसमी या हार्मोनल होती हैं और कई बैक्टीरिया संक्रमण से. प्रकृति में कई ऐसे बैक्टीरिया हैं जो रोग उत्पन्न करने वाले हैं, जिनसे गंभीर बीमारियां होने का खतरा होता है. निमोनिया, तपेदिक, कॉलेरा, टिटनेस, टायफायड, सिफलिस, क्षयरोग, प्लेग आदि कुछ ऐसी ही बीमारियां हैं, जो रोग जनित बैक्टीरिया से फैलती हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञों का मानना है कि आधी से अधिक बीमारियां दूषित पेयजल के पीने से होती हैं. अगर पेयजल सही हो तो कुछ बीमारियों से बचा जा सकता है.
जल विशेषज्ञ और पूर्व निदेशक ग्राउंड एसएलएस जागेश्वर कहते हैं कि राजधानी सहित प्रदेश के कई अन्य जिलों में कई जगहों का जलस्रोत दूषित हो चुका है. कहीं आर्सेनिक तो कहीं फ्लोराइड की अधिकता है. इस वजह से उक्त पानी पीने से लोग बीमार हो जाते हैं. इसे देखते हुए सूबे में हजारों कंपनियां पानी के कारोबार में लगी हुई हैं. सेहत की चिंता में लोग 20 लीटर वाला जार खरीदकर उसका पानी पीते हैं. हालांकि उक्त जार का पानी भी शुद्ध है इसकी कोई गारंटी नहीं है.
आप खुद करा सकते हैं अपने पानी की जांच
राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड से निबंधित प्रयोगशाला होने से लोग अपने-अपने पानी की जांच वहां करा सकेंगे.
वैसे पेयजल स्वच्छता विभाग की वर्तमान प्रयोगशाला में भी लोग अपने बोरिंग के पानी की जांच करा सकते हैं. जागरूकता की कमी की वजह से लोग ऐसा कराते नहीं हैं. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग हर साल अपने चापाकल एवं कुआं के पानी की जांच कराता है. आर्सेनिक या फ्लोराइड निकलने पर वहां इसे नियंत्रित करने का उपकरण लगा दिया जाता है.
पाचनतंत्र के लिए आरओ का पानी नुकसानदेह
चिकित्सक डॉ. टीडीपी सिन्हा कहते हैं कि आज भी बोरिंग का पानी सबसे अच्छा है, बशर्ते वह दूषित न हो. आरओ के पानी से कुछ जरूरी मिनरल भी निकल जाता है, जो शरीर के लिए नुकसानदेह है. इसलिए लोगों को अपने पेयजल की प्रमाणिक प्रयोगशाला में एक बार जांच जरूर करा लेनी चाहिए. अगर वह दूषित नहीं हो तो उसी का इस्तेमाल करना चाहिए.
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