Ranchi : भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व आईपीएस डॉ अरुण उरांव ने आदिवासी जमीन खरीद-बिक्री में थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म करने के टीएसी के प्रस्ताव पर सवाल उठाया है. भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने कहा कि इस विषय पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए थी. विशेषज्ञों से विचार विमर्श करने की जरूरत थी. उन्होंने कहा कि आखिर सरकार के आखिरी वर्ष में टीएसी से इस प्रस्ताव को पास कराने के पीछे सरकार की मंशा क्या है. ऐसा लगता है कि इसके पीछे सामाजिक प्रभाव कम और राजनीतिक इंटरेस्ट ज्यादा है. दरअसल सीएम हेमंत सोरेन ने दुमका से रांची तक इतनी जमीन खरीदी है कि उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं होगी. कहीं सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर खरीदी गई मुख्यमंत्री की बेशुमार जमीनों को रेगुलराइज करने के लिए तो यह फैसला नहीं लिया गया है.
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पिछली बार संशोधन पर झामुमो ने कर दिया था जमीन-आसमान एक
डॉ अरुण उरांव ने कहा कि रघुवर सरकार में जब सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन हो रहा था, तब इसी झामुमो और कांग्रेस ने जमीन-आसमान एक कर दिया था. आखिर अभी कौन सा पब्लिक प्रेशर बना या फिर किस संगठन ने कहा कि उन्हें सीएनटी एक्ट में संशोधन चाहिए. उन्होंने कहा कि इस तरह के संशोधन लाने के पहले कुछ बातों पर विशेष चर्चा होनी चाहिए, जैसे थाना क्षेत्र में 5 से 10 किलोमीटर के दायरे में ही आदिवासी जमीन की खरीद-बिक्री हो. 5 से 10 डिसमिल जमीन की ही खरीद-बिक्री हो. खरीदार सिर्फ रेसिडेंशियल यूज के लिए जमीन खरीदें. इन सब चीजों के प्रावधान पर चर्चा के बाद इसपर फैसला होना चाहिए था.
रघुवर सरकार की मंशा साफ थी, इस सरकार की मंशा पर संदेह
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने जब सीएनटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव लाया गया था, तब सरकार की मंशा साफ थी. सरकार के विकास कार्यों में बाधा न हो इसके लिए संशोधन लाया गया था. लेकिन तब झामुमो-कांग्रेस ने पुरजोर विरोध किया था और पूरे प्रदेश में यह नैरेटिव बनाया कि भाजपा आदिवासी जमीन लूटने पर आमादा है. लेकिन अभी उसी झामुमो-कांग्रेस बगैर व्यापक चर्चा के संशोधन का प्रस्ताव लाए हैं.
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