Bokaro : जिले में 18 राजकीय आयुर्वेद अस्पताल हैं. इन 18 आयुर्वेद अस्पताल को एक ही डॉक्टर चला रहे हैं. यहां कुल यूनिट 20 हैं. डीएमओ को मिलाकर 21 यूनिट डॉक्टरों के जगह केवल एक डॉक्टर की तैनाती की गयी है. जरा सोचिए कैसे होता होगा यहां मरीजों का इलाज?
36 लाख की लागत से बने मुख्यालय लंबे अरसे से हैं बंद
बता दें कि बोकारो में चौथी श्रेणी के कुल 21 पद हैं. जो फिलहाल सभी खाली हैं. 9 अस्पताल बनकर तैयार है. लेकिन किसी भी अस्पताल का सदुपयोग नहीं हो रहा है. मुख्यालय के संयुक्त भवन निर्माण पर 36 लाख खर्च हुए. लेकिन लंबे अरसे से यह बंद पड़ा है.
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बोकारो के 5 होम्योपैथ अस्पताल बेकार पड़े
दूसरी ओर होम्योपैथ विभाग के 5 अस्पताल बोकारो में हैं. लेकिन कोई भी अस्पताल कार्यरत नहीं है. ये पांचों अस्पलात जिले के बेरमो, गोमिया, पेटरवार, चास,कौड़ियां, पिंडराजोरा,सडम, बरमसिया, चतरोचट्टी और टुपरा में बने हुए हैं. लेकिन चिकित्सकों की तैनाती नहीं होने से करोड़ों की लागत से बनी बिल्डिंग बेकार हो गयी है.
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डॉक्टर नहीं होने पर अस्पतालों में व्यवस्था चरमराई
सरकार एक तरफ बेहतर तरीके के स्वास्थ्य व्यवस्था की परिकल्पना कर रही है. सरकार इस बात को लेकर कितनी गंभीर है इसका अनुमान लगाया जा सकता है. अस्पतालों में डॉक्टर नहीं होने के कारण इलाज व्यवस्था चरमरा गयी है. कई अस्पताल बंद पड़े हैं. हालांकि जब लगातार डॉट इन के संपादक ने चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रामनरायण कोरक ने बात कि तो उन्होंने कहा कि अस्पतालों में पड़े रिक्त पदों को भरने की कोशिश की जा रही है.
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