New Delhi : परतंत्रता की पीड़ा और परंपराओं पर प्रहार से आहत जमीनी स्तर पर उभरा सशक्त प्रतिरोध ही प्रभावी क्रांति है. इसी पहचान के कारण भगवान बिरसा मुंडा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विशिष्ट नायक हैं. दिल्ली में गुरू घासीदार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक चक्रवाल की लिखी पुस्तक बिरसा मुंडा (जनजातीय नायक का विमोचन करने के बाद केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने यह बात कही. उनके साथ धर्मेंद्र प्रधान भी थे. अन्नपूर्णा ने कहा कि यह किताब झारखंड के प्रतीक पुरुष बिरसा मुंडा के संघर्ष और स्वतंत्रता आंदोलन में वनवासियों के योगदान को सामने लाने के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
इतिहास में पहले पन्ने पर अंकित होने वाली है बिरसा की गाथा, जो दुर्भाग्य से नहीं हुआ
उन्होंने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी या अंग्रेजी शासन के साथ राजनीतिक– कूटनीतिक संबंध रखते हुए विभिन्न माध्यमों से भारत की राजनैतिक आजादी के लिए हुए प्रयासों को तो भरपूर महिमामंडन मिला है, लेकिन झारखंड जैसे सुदूरवर्ती वन प्रांत वाले इलाके में संसाधन विहीन जनजातीय समूह के बीच से एक तरुण यदि उस सत्ता के खिलाफ हुंकार भरता है, जिसके बारे में कहा जाता हो कि “उसके राज में सूरज कभी डूबता नहीं”, तो यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में प्रथम पृष्ठ पर अंकित होनेवाली गाथा है, जो दुर्भाग्य से हुआ नहीं.
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जनजातीय संस्कृति को आघात पहुंचाने वाली साजिशों का भी किया था विरोध
अन्नपूर्णा ने कहा कि बिरसा मुंडा ने न सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया, बल्कि हर उस कोशिश या साजिश का प्रतिरोध किया जो जनजातीय समुदाय की परंपरा, संस्कृति और जीवन मूल्यों को आघात पहुंचा रही थी. दुर्भाग्य से इन विषयों पर भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी अबतक की रचनायें या तो मौन हैं या बहुत झिझक के साथ कुछ कह पायी हैं. प्रो.आलोक चक्रवाल द्वारा संपादित इस पुस्तक में भगवान बिरसा मुंडा के जीवन के उन अनदेखे- अनछुए पहलुओं पर रोशनी डालनेवाले प्रसंग शामिल हैं.
अचर्चित नायकों पर शोध कर नई रचनाओं के साथ सामने आयें साहित्यकार
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आजादी के अमृत महोत्सव काल में लगातार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अचर्चित या अल्पचर्चित नायकों को सामने लाने और उन्हें इतिहास में वांछित सम्मान दिलाने का प्रयास कर रहे हैं. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भी ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. उन्होंने देश के उत्साही रचनाकारों से आह्वान किया कि वे देश के गुमनाम, अचर्चित या अल्पचर्चित नायकों के जीवन और कृतित्व पर शोध करें और उनपर नई रचनाओं के साथ सामने आयें.