LagatarDesk : भारतीय अर्थव्यवस्था अब Corona महामारी के कारण हुए नुकसान से उबरने लगी है. साथ ही Economy ने रफ्तार भी पकड़ ली है. माना जा रहा है कि भारत जल्द ही फ्रांस और ब्रिटेन को पीछे छोड़ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है. एक नयी रिपोर्ट सामने आयी है. जिसमें कहा गया है कि नये साल में फ्रांस और 2023 में ब्रिटेन भारत से पीछे चला जायेगा. हालांकि दुनिया पर आर्थिक मंदी यानी Global Recession का खतरा बरकरार है.
कोरोना के कारण भारत टॉप 5 इकोनॉमी से हुआ बाहर
बता दें कि कोरोना महामारी से पहले भारत ने फ्रांस और ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया था. महामारी के कारण इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ पर ब्रेक लगा गया था. जिसके कारण भारती की जीडीपी ग्रोथ रेट जीरो से नीचे चली गयी थी. इस कारण भारत टॉप-5 से बाहर हो गया था. इस माह आयी ब्रिटिश कंसल्टेंसी Cebr की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ फिर रफ्तार पकड़ने लगी है. जल्दी ही भारत फ्रांस और ब्रिटेन को पीछे छोड़कर जीडीपी के मामले में टॉप 5 में वापस से जगह बना लेगा.
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भारत, ब्रिटेन और फ्रांस की इकोनॉमी तीन ट्रिलियन डॉलर से कम
इंवेस्टोपीडिया के आंकड़ों के अनुसार, अभी भारत, ब्रिटेन और फ्रांस तीनों ही तीन ट्रिलियन डॉलर से कम की इकोनॉमी वाले देश हैं. फ्रांस के साथ भारत का फासला बहुत कम है. दोनों 2.7 ट्रिलियन डॉलर से कुछ पीछे हैं, ब्रिटेन की जीडीपी 2.7 ट्रिलियन से अधिक है. अनुमान है कि अगले साल 2022 में भारत की इकोनॉमी का साइज तीन ट्रिलियन डॉलर के बेहद करीब पहुंच जायेगा. हालांकि ब्रिटेन तीन ट्रिलियन के लेवल को पार कर सकता है. तब भारत और ब्रिटेन के बीच का अंतर मामूली रह जायेगा.
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2024 में आर्थिक मंदी की चपेट में आ सकती है दुनिया
रिपोर्ट में महंगाई को लेकर चिंता जतायी गयी है. इस कारण वैश्विक आर्थिक मंदी (Recession) की आशंका व्यक्त की गयी है. दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं इस समय दशकों के उच्च स्तर की महंगाई से जूझ रही है. अमेरिका में महंगाई अभी तीन दशक से भी ज्यादा समय के उच्च स्तर पर है. फ्रांस और ब्रिटेन का हाल भी ऐसा ही है. यही स्थिति भारत, जापान और जर्मनी की भी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर महंगाई को काबू नहीं किया गया तो 2023 या 2024 में दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में आ सकती है.
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फास्टेस्ट ग्रोइंग मेजर इकोनॉमी है भारत
CEPPF के इकोनॉमिस्ट डॉ सुधांशु कुमार कहते हैं कि इंडियन इकोनॉमी में काफी पोटेंशियल है. यह साफ-साफ दिख रहा है. टैक्स कलेक्शन के मामले में भारत सभी मेजर इकोनॉमी से बहुत पीछे है. इससे पता चलता है कि ग्रोथ के लिए संसाधन कम हैं. इसके बाद भी भारत फास्टेस्ट ग्रोइंग मेजर इकोनॉमी है.
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विकल्प सीमित होने के बाद भी ग्रोथ ज्यादा
सुधांशु कुमार का कहना है कि अन्य देशों के पास संसाधन अधिक हैं, टैक्स कलेक्शन से वहां की सरकारों को ग्रोथ तेज करने के उपायों के विकल्प मिलते हैं. भारत में यह विकल्प बेहद सीमित है. इसके बाद भी ग्रोथ रेट लगातार बेहतर रहा है. बीच में महामारी के झटके से ग्रोथ की रफ्तार जरूर कुछ समय के लिए कम हुई, लेकिन भारत के पास पोटेंशियल पहले से ही था.
सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने के लिए चीन को 2030 तक करना पड़ेगा इंतजार
Cebr की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के साथ अन्य प्रमुख इकोनॉमी भी महामारी से निजात पाने लगी हैं. इस कारण पूरी दुनिया का ज्वाइंट इकोनॉमिक आउटपुट नये साल में पहली बार 100 ट्रिलियन डॉलर के स्तर को पार करने वाला है. हालांकि रिपोर्ट में चीन के लिए बुरा अनुमान है. पहले माना जा रहा था कि चीन डॉलर टर्म में अगले सात साल में अमेरिका को पीछे छोड़ सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जायेगा. रिपोर्ट के अनुसार, चीन को सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने के लिए 2030 तक इंतजार करना पड़ेगा.
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