Chaibasa (Sukesh kumar): चाईबासा स्थित दिव्य भारती भवन में रविवार को 2024 की राजनीतिक चुनौती व रणनीति पर एक-दिवसीय लोकतंत्र बचाओ समागम का आयोजन किया गया. इसमें कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिलों से 150 सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता व जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. समागम का आयोजन लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान, झारखंड जनाधिकार महासभा, झारखंड किसान परिषद, चांडिल, खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम व अन्य कई संगठनों द्वारा किया गया था. समागम के उद्घाटन सत्र को जानी-मानी पत्रकार व लेखिका भाषा सिंह, झारखंड के आंदोलनकारी कुमार चंद्र मार्डी और सामाजिक कार्यकर्ता जयकिशन गोदसोरा ने संबोधित किया. उद्घाटन सत्र में इस पहल से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता मंथन ने समागम के आधार को रखते हुए कहा कि मोदी सरकार व भाजपा देश के लिए कितनी खतरनाक है, यह अब किसी छुपा नहीं है. इसके लिए लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के तहत पूरे देश में आंदोलन शुरू हुआ है. झारखंड में अभियान व झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा इस पहल का समन्वयन किया जा रहा है. रांची में राज्य स्तरीय समागम के बाद अब क्षेत्रीय चर्चाओं का आयोजन हो रहा है.
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धर्म के नाम पर विभाजित करने का हो रहा प्रयास
भाषा सिंह ने कहा कि देश की परिकल्पना को धर्म आधारित बनाया जा रहा है. हिन्दू संतों-पुरोहितों के मंत्रोच्चार के साथ, प्रधानमंत्री द्वारा हिन्दू पूजा-पाठ कर, राजतंत्र के एक प्रतीक सेंगोल (डंडा) को नए संसद में स्थापित किया गया. यह देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने और ब्राह्मणवाद को स्थापित करने का एलान है. संसद भवन के उद्घाटन में एक भी महिला का न होना और केवल पुरुष पुरोहितों का होना दर्शाता है कि हिंदू राष्ट्र में महिलाओं की क्या स्थिति होगी. यह महिला पहलवानों के उत्पीड़न से भी झलकता है. महिला पहलवानों ने जिस भाजपा सांसद पर महिला उत्पीड़न का आरोप लगाया और जिसकी गिरफ्तारी के लिए वे आंदोलनरत हैं, जिसे पॉक्सो के तहत तत्काल जेल होना चाहिए था. वह संसद भवन उद्घाटन समारोह में ससम्मान शामिल था. वक्ताओं ने कहा कि कोल्हान समेत पूरे झारखंड में भाजपा आदिवासियों की स्वशासन व्यवस्था, संस्कृति व आदिवासियत को हिन्दुत्व में विलीन करने पर उतारू है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा व उसके इशारों पर विभिन्न सामाजिक-धार्मिक-राजनीतिक संगठनों द्वारा कोल्हान में लोगों को धर्म के नाम पर विभाजित किया जा रहा है.
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आदिवासी के जमीन, जंगल और खनिज को लूटने की योजना
वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा झारखंड के आदिवासी-मूलवासियों के जमीन, जंगल और खनिज को लूटने के लिए इनसे जुड़े कानूनों को लगातार कमजोर किया जा रहा है और इन्हें निजी कंपनियों के हाथों बेच दिया जा रहा है. आदिवासी-मूलवासियों के संसाधनों को लूटने के लिए क्षेत्र को सुरक्षा बलों के छावनी में बदल दिया गया है. बिना ग्राम सभा की सहमति की कैंप स्थापित किए जा रहे हैं, आदिवासियों पर फर्जी मामले दर्ज किए जा रहे हैं. झारखंड आज भी आंतरिक उपनिवेश सा बना हुआ है. झारखंड अकेला प्रांत है जहां तीसरी चौथी श्रेणी की नौकरियों से भी आदिवासी-मूलवासी वंचित हैं. आज तक स्थानीयता के आधार पर नियोजन की जरूरी और उचित प्रक्रिया भाजपा जैसे बाहरी वर्चस्व वाले दलों की राजनीतिक और प्रशासनिक कूटनीति के कारण नहीं बन पाई है. एक तरफ महंगाई आसमान छू रही है, दूसरी तराफ मोदी सरकार अडानी व चंद कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने में और मेहनतकश वर्ग के जनाधिकारों को लगातार कमजोर करने में लगी है. समागम में वक्ताओं ने इस क्षेत्र की राजनितिक पृष्ठभूमि पर व्यापक चर्चा की. कहा कि जमशेदपुर संसदीय सीट में भाजपा की पकड़ मजबूत है.
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कोल्हान व झारखंड के हर सीट से भाजपा को हराना होगा
समागम के अंत में सभी ने लोकतंत्र को बचाने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में कोल्हान व झारखंड के हर सीट से भाजपा को हराने का आह्वान किया. गैर भाजपा दलों से आह्वान किया गया कि वे सुनिश्चित करें कि विपक्ष के वोट का बिखराव नहीं हो एवं उनकी ओर से साझा उम्मीदवार दिया जाए. यह भी कहा गया कि आदिवासी, दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को झारखंडी सोच के छतरी तले संगठित करना होगा. साथ ही, गठबंधन को इस दिशा में चलने का दबाव देना होगा.
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समागम में यह थे उपस्थित
समागम में अनंत कुमार हेंब्रम, अजीत कांडेयांग, बामिया बारी, दसकंद कुदादा, दिनेश प्रसाद कुशवाहा, देवेंद्र नाथ चंपिया, गुही राम मुंडा, जयकिशन गोदसोरा, रामकविंद्र, कुमार चंद्र मार्डी, कृष्णा लोहार, मंथन, सिराज दत्ता, मानिक सरदार, मानसिंह मुंडा, मिली बिरुवा, मो युनुस, रीना बारी, रामचंद्र मांझी, रमेश जेराई, रेयांस समाद, शत्रुघ्न कुंकल, सुनीता जारिका समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी बात रखी. संचालन अंबिका यादव, बेला जेराई, हेलेन सुंडी, जयंती मेलगंडी, नारायण कांडेयांग व सुनील पूर्ति उपस्थित थे.