Chakulia : चाकुलिया की हवाई पट्टी से सटे जंगलों का विनाश युद्ध स्तर पर हो रहा है. उन्नत जंगल मैदान बनते जा रहे हैं. साल, काजू, आकाशिया के हजारों पेड़ दिनदहाड़े काटे जा रहे हैं. छोटे वाहनों पर लकड़ियां टपाई जा रही हैं. दर्जनों महिलाएं नगर पंचायत के बाजार क्षेत्र में सिर पर साल की लकड़ियों को लेकर बेचने के लिए गली-गली में फेरी लगा रही हैं. रोकने टोकने वाला कोई नहीं है. वन विभाग जंगल के विनाश का तमाशा देख रहा है.
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चंद माफिया हो रहे मालामाल

वनों के इस विनाश में चंद माफिया मालामाल हो रहे हैं. वहीं ग्रामीणों ने साल के पेड़ों को काटना और लकड़ियों को बेचना अपने रोजगार का साधन बना लिया है. तो दूसरी ओर जंगल में रहने वाले हाथी जंगलों के विनाश के कारण नगर पंचायत के बाजार क्षेत्र में घूम कर उपद्रव मचा रहे हैं. भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. ग्रामीणों पर हमला कर रहे हैं. हाथियों के भय से बाजार क्षेत्र के लोग अब रतजगा करने लगे हैं. अहम सवाल है कि जब आप जंगल काटेंगे तो जंगली हाथी कहां जाएंगे? जाहिर सी बात है कि जंगलों में वृक्ष काटने को लेकर हो आवाज और जंगलों के सफाये से जंगली हाथी अपना रुख बाजार की ओर कर रहे हैं.
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साल के जंगल में अब दिखाई पड़ने लगे है पेड़ों के ठूंठ

हवाई पट्टी से सटे जंगलों में पेड़ की जगह सिर्फ पेड़ों के ठूंठ नजर आ रहे हैं. मौरबेड़ा के पास कई हेक्टेयर में फैले अकाशिया के जंगल का सफाया हो चुका है. साल जंगल में भी अब सिर्फ पेड़ों के ठूंठ दिखाई पड़ने लगे हैं. काजू के पुराने वृक्ष भी काटे जा रहे हैं. दर्जनों लोग भोजन और पानी लेकर जंगल में पेड़ों को काट रहे हैं और लकड़ियों को ढोकर ले जा रहे हैं. ग्रामीणों में पेड़ों को काटने की होड़ लगी है. वहीं मोटे पेड़ों को माफिया आरी से कटवा रहे हैं. पेड़ के बोटे अन्य शहरों में भेजे जा रहे हैं और लकड़ियां यहां के साबुन कारखानों में आपूर्ति की जा रही है. दर्जन भर पिक अप वैन सिर्फ इन लकड़ियों का परिवहन करने के लिए ही रखे गए हैं. जंगलों के इस विनाश पर रोक लगाने के लिए वन विभाग द्वारा कोई पहल नहीं की जा रही है. ऐसे में वन विभाग पर भी लोगों की अंगुलियां उठने लगी हैं. लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर युद्ध स्तर पर हो रहे जंगलों के विनाश पर वन विभाग चुप क्यों है? जंगलों के विनाश के कारण ही जंगली हाथियों में भगदड़ मची है और वह बाजार क्षेत्र में घुसकर उपद्रव मचा रहे हैं.

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