LagatarDesk : संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हो रहा है. साल 2023 का यह पहला बजट सत्र है. परंपरा के मुताबिक, बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण से होगी. राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आर्थिक सर्वेक्षण यानी इकोनॉमिक सर्वे पेश करेंगी. इकोनॉमिक सर्वे के संसद में पेश होने के बाद चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी. अनंत नागेश्वरन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया को सर्वे की जानकारी देंगे. इकोनॉमिक सर्वे पेश किये जाने के ठीक एक दिन बाद वित्त मंत्री देश का आम बजट पेश करेंगी. (पढ़ें, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ऐलान, मर जाना कबूल, लेकिन बीजेपी के साथ जाना नहीं)
क्या होता इकोनॉमिक सर्वे?
बता दें कि इकोनॉमिक सर्वे संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि इकोनॉमिक सर्वे होता क्या है और इसे बजट से पहले ही पेश क्यों किया जाता है. मुख्य तौर पर इकोनॉमिक सर्वे एक फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट होता है. जिसमें
एक साल में देश के आर्थिक विकास का लेखा-जोखा होता है. इसके जरिए यह अंदाजा लगाया जाता है कि पिछले एक साल में देश की अर्थव्यवस्था किस तरह की रही और कहां, फायदा मिला और कहां नुकसान हुआ. इसके लिए विभिन्न सेक्टर्स, इंडस्ट्री, एग्रीकल्चर, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन, रोजगार, महंगाई, एक्सपोर्ट जैसे डेटा का सहारा लिया जाता है. आर्थिक समीक्षा इन डेटा के विस्तृत एनालिसिस पर आधारित होती है. इसमें मनी सप्लाई और फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व जैसे अन्य पहलुओं पर भी गौर किया जाता है. जिनका असर भारत की इकोनॉमी पर पड़ता है.
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एक साल के दौरान खर्च और बचत का होता है लेखा-जोखा
आसान शब्दों में कहे तो इकोनॉमिक सर्वे लेखा-जोखा की तरह होता है. मान लें कि आप अपने घर के एक-एक सामान का हिसाब एक रजिस्टर में मेंटेन करते हैं. साल के अंत में परिवार का मुखिया उस रजिस्टर को चेक करता है और यह देखता है कि एक साल में कितना खर्च किया गया और कितनी बचत हुई. इसी के आधार पर फिर अगले साल के घर खर्च की तैयारी की जाती है. इकोनॉमिक सर्वे भी कुछ इसी तरह का होता है. जिसमें देश के पिछले एक साल के हिसाब-किताब के आधार पर अगले साल का बजट तैयार करने की रूपरेखा तय की जाती है.
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भारत की अर्थव्यवस्था की तस्वीर पेश करता है यह सर्वे
इकोनॉमिक सर्वे एक साल में देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है. जिसके आधार पर यह अंदाजा लगाया जाता है कि पिछले एक साल से अंदर देश की अर्थव्यवस्था किस तरह की रही. किन मोर्चों पर फायदा मिला और कहां नुकसान हुआ. इसी इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर यह तय किया जाता है कि आने वाले साल में देश की अर्थव्यवस्था के अंदर किस तरह की संभावनाएं मौजूद हैं. इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर सरकार को सुझाव भी दिये जाते हैं. लेकिन इन्हें लागू करना है या नहीं करना यह सरकार की जिम्मेदारी होती है. यही वजह है कि इकोनॉमिक सर्वे को बजट पेश होने के ठीक पहले संसद के पटल पर रखा जाता है. 1964 तक इकोनॉमिक सर्वे को बजट के साथ ही पेश किया जाता था. लेकिन इसके बाद इसे बजट से ठीक एक दिन पहले पेश किया जाने लगा.
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सर्वे से पूर्वानुमान लगया जाता कि देश में रहेगी मंदी या तेजी
इकोनॉमिक सर्वे में ना सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था का पूर्वानुमान लगाया जाता है. बल्कि यह भी अनुमान लगाया जाता है कि पिछले साल के आधार पर क्या महंगा होगा और क्या सस्ता हो सकता है. जैसे राजकोष, ब्रॉड प्रोस्पेक्ट, प्रोडक्ट, महंगाई दर के साथ-साथ अर्थव्यवस्था से जुड़ी देश की सभी आर्थिक गतिविधियों की जानकारी इकोनॉमिक सर्वे से मिल जाती है. जिससे यह अंदाजा लगाया जाता है कि आने वाले साल में अर्थव्यवस्था में मंदी रहेगी या तेजी. फिर इसी के आधार पर आगे की प्रक्रिया होती है.
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पहली बार 1950-51 में पेश हुआ था इकोनॉमिक सर्वे
देश का पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 के बीच पेश किया गया था. खास बात यह है कि 1964 तक इकोनॉमिक सर्वे को देश के आम बजट के साथ ही पेश किया जाता था. लेकिन फिर इसे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा. वहीं 2021 में इकोनॉमिक सर्वे को डिजिटल तरीके से पेश किया गया था. इसकी छपाई नहीं की गयी थी. दस्तावेजों को राज्यसभा और लोकसभा के सभी सांसदों को PDF माध्यम से उपलब्ध कराया गया था.
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