LagatarDesk : अडानी ग्रुप के 413 पन्नों के जवाब का अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने खंडन किया है. रिसर्च फर्म ने कहा कि धोखाधड़ी को राष्ट्रवाद से छिपाया नहीं जा सकता है. लिखा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है. यह सबसे मजबूत और न्यायसंगत लोकतंत्र के रूप में उभर रहा है. लेकिन अडानी समूह भारत को उभरने और आगे बढ़ने से रोक रही है. देश की आड़ में अडानी ग्रुप भारत को ही लूटने का काम कर रही है. हिंडनबर्ग ने आगे लिखा कि धोखाधड़ी तो धोखाधड़ी ही होता है. चाहे वह दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति ही क्यों ना करे. (पढ़ें, अडानी ने हिंडनबर्ग को 413 पन्नों में दिया जवाब, कहा- यह भारत के विकास पर है हमला)
Our Reply To Adani:
Fraud Cannot Be Obfuscated By Nationalism Or A Bloated Response That Ignores Every Key Allegation We Raisedhttps://t.co/ohNAX90BDf
— Hindenburg Research (@HindenburgRes) January 30, 2023
413 पन्नों में केवल 30 पेज के हैं जवाब
हिंडनबर्ग ने आगे लिखा कि अडानी के 413 पन्नों के जवाब में केवल 30 पेज ही रिपोर्ट से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित हैं. बाकी बचे 383 पेज में से 330 पेज कोर्ट के रिकॉर्ड्स हैं. वहीं 53 पेज में हाई लेवल फाइनेंशियल और सामान्य जानकारी दी गयी है. इसके अलावा रिपोर्ट में महिलाओं को व्यापार में आगे बढ़ाने और सब्जियों के उत्पादन के बारे में जानकारी दी गयी है.
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हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट जारी कर अडानी ग्रुप पर लगाया आरोप
बता दें अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने 25 जनवरी को 30000 से अधिक शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की थी. जिसमें 80 से अधिक सवालों के जवाब अडाणी ग्रुप से मांगे गये थे. रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों की शेयर वैल्यू कंपनियों को वास्तविक वैल्यू से 85 प्रतिशत तक अधिक बताया गया है. इसके लिए अलग-अलग तरह के नाजायज तरीकों को अपनाया गया है. इतना ही नहीं ग्रुप की सभी प्रमुख लिस्टेड कंपनियों पर काफी ज्यादा कर्ज भी है. जिसपर अडानी ग्रुप ने अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग को 413 पन्नों का जवाब भेजा था. अडानी ग्रुप ने कहा था कि वह 24 जनवरी को ‘मैडऑफ्स ऑफ मैनहट्टन’ हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को पढ़कर हैरान और काफी परेशान है. इस रिपोर्ट झूठ के अलावा और कुछ नहीं है. ग्रुप ने हिंडनबर्ग के सभी आरोपों को निराधार बताया है. अडानी ग्रुप ने कहा कि यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अनुचित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता और भारत की विकास की कहानी और महत्वाकांक्षा पर एक सुनियोजित हमला है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट चुनिंदा मिस-इन्फॉर्मेशन का एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन है. ग्रुप को बदनाम करने और खुद को लाभ पहुंचाने के लिए यह रिपोर्ट तैयार की गयी है.
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