- झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने भी माना वातावरण हो रहा प्रदूषित
- विभाग और कंपनी प्रबंधन की स्वीकारोक्ति के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं
- कंपनी रोजगार तो दे रही, लेकिन प्रदूषण के रूप में बांट रही बीमारी का डर
- क्षेत्र की विधायक पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण समिति की सभापति
Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल प्रखंड अंतर्गत लाखा स्थित बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड कंपनी (वनराज स्टील) द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण की चपेट में चांडिल प्रखंड के कम से कम तीन पंचायत की जनता त्रस्त है. प्रदूषण की जांच भी की गई. जांच के बाद झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद भी मान रही है कि कंपनी से प्रदूषण हो रहा है. यह वाक्या उस क्षेत्र में हो रहा है जहां की विधायक झारखंड विधानसभा की पर्यावरण व प्रदूषण नियंत्रण समिति की सभापति हैं. लेकिन कंपनी पर कार्रवाई नहीं होने से दीया तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है.
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पर्यावरण व प्रदूषण नियंत्रण समिति के सभापति सविता महतो के निर्वाचन क्षेत्र में ही कंपनी प्रबंधन बगैर प्रदूषण नियंत्रण यंत्र के विनाशकारी प्रदूषण फैलाते हुए कंपनी का संचालन कर रही है. यह सोचनीय विषय है. एक तरफ जनता जानलेवा प्रदूषण से त्राहिमाम कर रही है और कंपनी प्रबंधन कह रहा है कि अब प्रदूषण पर नियंत्रण होगा . ऐसे में सवाल उठता है कि कंपनी प्रबंधन ने पहले ही प्रदूषण रोकने की व्यवस्था क्यों नहीं की. लोगों का कहना है कि रोजगार के नाम कहीं पूंजीपति बीमारी तो नहीं बांट रहे हैं. क्षेत्र मेें टीवी समेत सांस संबंधित बीमारियां दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं.
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शिकायत पर हुई थी जांच
लोगों की शिकायत पर झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के जमशेदपुर क्षेत्रीय पदाधिकारी राम प्रवेश कुमार ने अपनी टीम के साथ कंपनी की जांच की थी, तो कई चौंकाने वाला मामला सामने आया . जांच में कंपनी द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण और उड़ने वाली धूलकण के वास्तविक कारणों का पता चला है. कंपनी प्रबंधन जितने लोगों को रोजगार देने की बात कह रही है उसके अनुपात में कई गुणा अधिक लोगों को प्रदूषण से तबाह भी कर रही है. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के क्षेत्रीय अधिकारी ने अपनी जांच रिपोर्ट राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सचिव को भेज दी है . अब पर्षद ही आगे का निर्णय लेगी.
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वहीं, दूसरी ओर बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड कंपनी प्रबंधन की ओर से जल्द ही प्रदूषण पर नियंत्रण करने की बात कही जा रही है. ऐसे में विभाग और कंपनी प्रबंधन दोनों यह स्वीकार कर रहे हैं कि कंपनी से वर्तमान में प्रदूषण हो रहा है. कंपनी के मुख्य अधिकारी शंकर सामंत कहते हैं कि जल्द ही प्रदूषण नियंत्रण कर लिया जाएगा, इसकी तैयारी चल रही है. प्लांट में डब्ल्यूएचआर बॉयलर लगाए जाएंगे . इससे कीलन के गर्म गैस को स्टीम बनाकर उपयोग किया जाएगा . इसके अलावा प्लांट में दो नया कीलन लगाया जाएगा.
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जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा
क्षेत्रीय अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उन्होंने कंपनी के प्रबंधक ईश्वर राव और एसके सोलंकी की उपस्थिति में कंपनी की जांच की. बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड कंपनी में 2×100 टीडीपी, 1×500 टीडीपी और कैपटिव पावर प्लांट से पांच मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जाता है. जांच के दौरान 2×100 टीडीपी और 1×500 टीडीपी चालू अवस्था में थी. जबकि कैपटिव पावर प्लांट बंद पाया गया. वहीं, 2×100 टीडीपी और 1×500 टीडीपी के कीलन से भारी मात्रा में उत्सर्जन होते हुए पाया गया है. इसके साथ-साथ 2×100 टीडीपी, 1×500 टीडीपी का कैप भी खुला हुआ पाया गया, जिससे अत्यधिक उत्सर्जन होता पाया गया है.
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वहीं, कंपनी में स्थापित 1×500 टीडीपी का ईएसपी कार्य नहीं करने के कारण उत्सर्जन अधिक होने से आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या हो रही है. इसके अलावा प्लांट में बैग हाउस स्थापित है. जांच में पाया गया कि बैग फिल्टर पूरी क्षमता के साथ कार्य नहीं कर रहा है. इसके कारण रॉ मेटेरियल हैंडलिंग सेक्शन, सीडी और प्लांट परिसर में मौजूद धूलकण से प्रदूषण फैल रही है. प्लांट में जल छिड़काव की व्यवस्था की गई है, लेकिन स्थायी स्प्रिंकलर नहीं चलाया जा रहा था. जांच में ऑनलाइन स्टॉक मॉनिटरिंग सिस्टम बंद पाया गया.
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बढ़ते जा रहे टीवी के मरीज
चांडिल प्रखंड क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक स्पंज आयरन कंपनी चल रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनियों से होने वाले विनाशकारी प्रदूषण के कारण क्षेत्र में बीमारी बढ़ गई है. लोग टीवी जैसे बीमारी की चपेट में आने लगे हैं. अनुमंडलीय अस्पताल चांडिल से मिली जानकारी के अनुसार चांडिल प्रखंड क्षेत्र में वर्तमान में कुल 106 टीवी मरीजों का इलाज चल रहा है. इनमें चांडिल अस्पताल क्षेत्र के 72 और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चावलीबासा क्षेत्र के 34 मरीज शामिल हैं. टीवी मरीजों को लगातार छह माह तक दवा खाना पड़ता है. मार्च माह में कुल 19 नए टीवी मरीजों का इलाज शुरू किया गया है. यह सरकारी आंकड़ा है. कई लोग प्राइवेट में भी अपना इलाज करा रहे होंगे. ऐसे में यह आंकड़ा और भी अधिक बढ़ सकता है. कई लोग छह माह का दवाई का कोर्स पूरा कर चुके होंगे, उनका नाम भी टीवी मरीज की सूची से हटा दिया गया होगा.
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बताया गया कि टीवी मरीज वैसे गांवों से अधिक है जिनके इर्द-गिर्द स्पंज आयरन कंपनी स्थापित है. अनुमंडलीय अस्पताल चांडिल के चिकित्सा पदाधिकारी का कहना है कि क्षेत्र में टीवी के मरीज बढ़ रहे हैं. ग्रामीण बताते हैं कि प्रदूषण के कारण अब साग-सब्जी खाना भी दुश्वार हो गया है. तालाब और कुंआ का पानी भी दूषित हो गया है, जिसका असर लोगों के साथ पशु-पक्षियों पर भी पड़ रहा है. पानी के ऊपर काली परत जम जाने के कारण पानी को पीना बीमारी को दावत देने के जैसा हो गया है.