Ranchi: झारखंड में उत्पाद विभाग का राजस्व 516 करोड़ रुपये पीछे होने पर भाजपा ने हेमंत सरकार को घेरा है. भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि उन्होंने पहले ही कहा था कि झारखंड में छत्तीसगढ़ी कंपनियों का प्रकोप अब सामने आ गया है. अब अपना चेहरा बचाने के लिए उत्पाद विभाग ने कई कंपनियों पर टार्गेट पूरा नहीं करने के लिये जुर्माना लगाया है. इनमें से तीन ने हाईकोर्ट में सरकार पर मुकदमा कर दिया है. वहीं शराब बेचने वाली मैन पावर सप्लाई कंपनियां कह रही हैं कि उन्हें ब्रांडेड शराब/बीयर की सप्लाई मिल ही नहीं रही तो टार्गेट के मुताबिक सेल कैसे करें. उन्होंने सीएम को सलाह दी है कि इससे पहले कि वे शराब घोटाले में फंसकर एक और घोटाले का रिकॉर्ड अपने नाम कर लें, बिना देरी किये उन अफसरों पर कठोर कार्रवाई करें, जिन्होंने दिल्ली की तर्ज पर शराब घोटाले में उनकी गर्दन फंसाने का पक्का इंतजाम कर दिया है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, इससे पहले की आप इस शराब घोटाले के मामले में भी फँसकर एक और घोटाले का रिकार्ड अपने नाम कर लें, उठिये, जागिये और बिना देरी किये उन अफ़सरों पर कठोर कारवाई करिये जिन्होंने ने दिल्ली की तर्ज़ पर शराब घोटाले में आपकी गर्दन फँसाने का पक्का इंतज़ाम कर दिया है।
— Babulal Marandi (@yourBabulal) November 29, 2022
इसे भी पढ़ें – गुजरात चुनाव में रावण की इंट्री, बोले मल्लिकार्जुन खड़गे, क्या रावण की तरह मोदी के 100 मुख हैं?
चूहे-बिल्ली और लूटपाट के खेल में राजस्व का बज रहा बैंड
बाबूलाल ने कहा कि इस चूहे-बिल्ली और “लूटपाट” के खेल में झारखंड के सरकारी राजस्व का बैंड बज रहा है. आखिर इसमें दोषी कौन है. बाबूलाल ने सलाह दी कि मुख्यमंत्री अगर उनके उठाये सवालों के पिछले पन्ने (1 मई 2022 का ट्वीट) उलटें तो उनकी सारी शंका का समाधान हो जाएगा. कहा कि सरकारी व्यवस्था में जब घूस टार्गेट फिक्स कर पहले वसूल लिया जायेगा, तो सरकारी राजस्व का नुकसान तो होना ही है. यही शराब के व्यवसाय में हो रहा है.
बड़े-बड़े दावे करने वाले उत्पाद विभाग की दो महीने में ही बोलती बंद

उन्होंने कहा कि मई में जब छत्तीसगढ़ी शराब पॉलिसी और पॉलिसी बनाने के लिए पहले चुनकर रखी गई कंपनियां आयीं, तो उन्हें महिमामंडित करने के लिए उत्पाद विभाग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. जिसमें दावा किया गया कि राजस्व अनुमान से ज्यादा आने लगा है. कोशिश की गई कि कम राजस्व का आशंका जताने वाले विपक्षियों को झूठा साबित किया जाए, लेकिन राजस्व संग्रहण के झूठे आंकड़े अखबारों में छपवाने के 2 महीने बाद ही उत्पाद विभाग की बोलती बंद हो गई है. उत्पाद विभाग राजस्व वसूली के लक्ष्य से 516 करोड़ पीछे चल रहा है.

इसे भी पढ़ें –सरायकेला: शिक्षा सचिव ने विद्यालयों का किया औचक निरीक्षण, शैक्षणिक स्थिति का जायजा लिया