Ranchi: विधिक माप विज्ञान विभाग (मापतौल विभाग) की मुख्य भूमिका बाट व माप तथा तौलने एवं मापने के यंत्रों की समय-समय पर जांच करते हुए उनकी सत्यता और प्रमाणिकता को बनाये रखना है. यह विभाग उपभोक्ताओ को उनके अधिकारों की जानकारी देते हुए खरीदारी के दौरान धोखाधड़ी से बचने के तरीकों की जानकारी देता है, लेकिन पिछले 10 साल में यह विभाग छल-प्रपंच, ट्रांसफर-पोस्टिंग और राजनीति का अड्डा बन गया है.
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मापतौल निरीक्षकों के तबादले में हुआ पैसे का खेल
मापतौल निरीक्षकों के तबादले में भी कंट्रोलर साहब द्वारा बड़ा खेल किये जाने की बात सामने आ रही है. बताया जाता है कि कुछ निरीक्षक केसी चौधरी के खासमखास हैं और वे हमेशा मलाईदार जगह पाते हैं. बाकी लोगों को दूर-दराज के इलाकों में भेज दिया जाता है. चौधरी के चहेते इंस्पेक्टरों में ऐसे दागी भी शामिल हैं, जो भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के हाथों रंगे हाथ पकड़े जा चुके हैं और उन पर विभागीय कार्यवाही चल रही है. जुलाई में हुए तबादलों में कंट्रोलर साहब ने अपने खास इंस्पेक्टरों को जमशेदपुर, धनबाद और रामगढ़ जैसी मलाईदार जगहों पर पोस्टिंग दिलाई. बदले में मोटी रकम के लेनदेन की बात सामने आ रही है. यही नहीं, सीनियर इंस्पेक्टरों को आठ-नौ माह में उनकी जगह से हटा कर दूरस्थ इलाकों में भेज दिया गया.
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विभाग का बड़ा बाबू है कंट्रोलर का एजेंट, करता है वसूली
मापतौल में एक बड़ा बाबू हैं मिथिलेश दत्ता. कंट्रोलर साहब के खासमखास हैं. कंट्रोलर साहब की तरह वह भी 10 साल से अपनी कुर्सी पर चिपके हुए हैं. यही नहीं कई अन्य लिपिक भी हैं, जो बरसों से अपनी मनचाही जगह पर जमे हैं. लेकिन जो लोग उनके सिस्टम में नहीं हैं, उन्हें साल-साल भर में बदल दिया जाता है. कंट्रोलर के इशारे पर बड़ा बाबू ही क्लर्कों से वसूली करते हैं. झारखंड कैबिनेट ने सभी विभागों में ट्रांस्फर-पोस्टिंग के लिए जून-जुलाई का समय तय किया है. नियम है कि जिस दिन तबादला-पदस्थापन होता है, उसी दिन सूची विभागीय वेबसाइट पर अपलोड की जानी है. कंट्रोलर ने समय बीत जाने के बाद अगस्त के महीने में क्लैरिकल स्टाफ की ट्रांस्फर-पोस्टिंग की. तारीख बैकडैट की डाली गयी, लेकिन वेबसाइट में अगस्त में लोड की गयी. लेकिन इस गड़बड़ी को खाद्य आपूर्ति विभाग ने नहीं पकड़ा.
सचिव का अनुमोदन लिये बिना कर ली स्थापना की बैठक
नियमतः स्थापना की बैठक के लिए विभागीय सचिव से अनुमोदन लिया जाना है. मगर केसी चौधरी ने विभागीय अधिकारियों को अंधेरे में रख कर लिपिकीय कर्मियों के तबादले के लिए अगस्त में स्थापना की बैठक की. इस तबादले में भी बड़ा खेल किया गया है. कई क्लर्क ऐसे हैं जिन्हें साल भर में बदल दिया गया, तो कुछ जो सालों से एक ही जगह जमे हैं, उन्हें छुआ तक नहीं गया.
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पेंशन मांगते मर गये मंत्री के रिश्तेदार, रिटायरों की पेंशन भी रुकी
पिछले 10 साल में मापतौल विभाग से जितने भी अधिकारी रिटायर हुए, आज तक उनमें से किसी की पेंशन क्लीयर नहीं हुई है. इनमें पूर्व कंट्रोलर जयशंकर भगत का नाम भी शामिल है, जो वर्तमान विभागीय मंत्री रामेश्वर उरांव के रिश्तेदार थे. साल 2010 में इनके रिटायर होने के बाद केसी चौधरी को कंट्रोलर का प्रभार दिया गया. भगत ने पेंशन की आस में दम तोड़ दिया, लेकिन आज तक उनकी पेंशन स्वीकृत नहीं हुई. यही नहीं चौधरी के कार्यकाल में जितने भी मापतौल निरीक्षक रिटायर हुए हैं, उनमें से किसी की भी पेंशन शुरू नहीं हुई है. इसके पीछे केसी चौधरी को ही कारण बताया जा रहा है.
इंस्पेक्टरों को एक प्रमोशन भी नहीं, बाट जोहते रिटायर हो गये कई
मापतौल विभाग में इंस्पेक्टरों को नौकरी ज्वाइन करने के बाद से आज तक एक भी प्रमोशन नहीं मिला है. कई निरीक्षक तो प्रमोशन के इंतजार में 30 साल सेवा देकर भी रिटायर हो गये. अभी मात्र सात या आठ इंस्पेक्टर हैं. इनमें से भी 2 अगले दो साल में रिटायर हो जायेंगे.