NewDelhi : दिल्ली हाईकोर्ट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की पैरवी करते हुए कहा कि भारतीय समाज अब सजातीय हो रहा है. कोर्ट ने कहा कि समाज में जाति, धर्म और समुदाय से जुड़ी बाधाएं मिटती जा रही है. मामले की सुनवाई के क्रम में जस्टिस प्रतिभा सिंह ने अहम टिप्पणी की. खबर है कि हाईकोर्ट ने अनुच्छेद 44 के कार्यान्वयन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को इस पर एक्शन लेना चाहिए.
इस क्रम में कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 44 राज्य नीति निर्देशक तत्वों तथा सिद्धांतों को परिभाषित करता है, बता दें कि अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता की चर्चा की गयी है. राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व से संबंधित इस अनुच्छेद में कहा गया है कि ‘राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा.
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देश में अलग-अलग समुदाय और धर्म के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ
बता दें कि अभी देश में अलग-अलग समुदाय और धर्म के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ चार शादियों की इजाजत देता है, जबकि हिंदू सहित अन्य धर्मों में एक विवाह का नियम है. विवाह की न्यूनतम उम्र क्या हो? इस पर भी अलग-अलग व्यवस्था है.
मुस्लिम लड़कियां जब शारीरिक तौर पर बालिग हो जायें, (पीरियड आने शुरू हो जाएं) तो उन्हें निकाह के काबिल माना जाता है. अन्य धर्मों में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है. जहां तक तलाक का सवाल है तो हिंदू, ईसाई और पारसी में कपल कोर्ट के माध्यम से ही तलाक ले सकते हैं, लेकिन मुस्लिम धर्म में तलाक शरीयत लॉ के हिसाब से होता है.
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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखा गया पत्र
जान लें कि हाल ही सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखे गये पत्र में यह बात कही गयी है. पत्र में पर्सनल लॉ को एक समान करने के लिए दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के लिए एक बेंच का गठन करने की आग्रह किया गया है. हालांकि, यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की कोई याचिका दायर नहीं है, लेकिन मौजूदा याचिकाओं को समग्रता में देखा जाये तो मामला इसे लागू करने की ओर ही जाता है.
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बाबा साहब आंबेडकर ने कहा था
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय बताते हैं कि अनुच्छेद 44 पर बहस के दौरान बाबा साहब आंबेडकर ने कहा था, व्यवहारिक रूप से इस देश में एक नागरिक संहिता है, जिसके प्रावधान सर्वमान्य हैं और समान रूप से पूरे देश में लागू हैं. लेकिन विवाह-उत्तराधिकार का क्षेत्र ऐसा है, जहां एक समान कानून लागू नहीं है. यह बहुत छोटा सा क्षेत्र है, जिसके लिए हम समान कानून नहीं बना सके हैं. इसलिए धीरे-धीरे सकारात्मक बदलाव लाया जाये.