Dhanbad : भारत सरकार का उपक्रम सीएसआईआर-सिंफर, धनबाद में प्रबंधन ने बिना एग्रीमेंट के वाहन सप्लायर को साढ़े 4 वर्षों तक किराया मद में करीब 12 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया. नए निदेशक प्रो. एके मिश्रा ने दिसंबर 2022 में योगदान के बाद प्राइवेट वाहनों की आपूर्ति पर एक जनवरी 2023 से रोक लगा दी है. यह मामला वर्ष 2018 का है, तब वैज्ञानिकों व अधिकारियों के भ्रमण के लिए एक वर्ष के लिए निजी वाहन आपूर्ति के लिए निविदा निकाली गई थी.
यह है मामला
संस्थान के अधिकारियों के भ्रमण के लिए 15 जून 2018 को निविदा (संख्या 23 (849) 2018 जीए) के आधार पर धनबाद की एजेंसी मेसर्स चार्टड एसिंगनेस ट्रेवल्स को वाहन आपूर्ति का आदेश दिया गया था. एक अगस्त 2019 तक प्राइवेट एजेंसी से बिना अग्रीमेंट वाहन की आपूर्ति की गई. इसके एवज में बिल का भुगतान होता रहा. एक साल बीतने के बाद भी एग्रीमेंट का कार्य प्रक्रियाधीन रहा. आरटीआई में 23 मार्च 2022 को भी एकरारनामा की प्रति संस्थान द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई.
14 वाहन आपूर्ति की हुई थी निविदा
जून 2018 में प्रकाशित निविदा में बरवा रोड धनबाद में 3 इनोवा, एक स्विफ्ट कार, डिगवाडीह में एक इनोवा, दो स्विफ्ट व एक बोलेरो, रांची में एक बोलेरो, बिलासपुर में दो बोलेरो, रानीगंज में दो स्विफ्ट कार व एक बोलेरो की आपूर्ति की जानी थी.
नए आदेश में तय की गई किराए की राशि
नए निदेशक के आने के बाद पुराने आदेश को रद्द कर नये आदेश में वाहनों की दर तय कर दी गई है और वाहन बाजार से लेने को कहा गया है. नई दर में इंडिगो, डिजायर, इटिओज का दुर्गापुर के लिए 2800 रुपए, रांची के लिए 4000 रुपए, कोलकाता के लिए 7000 रुपए और देवघर के लिए 3000 रुपए, स्कार्पियो, बोलेरो का दुर्गापुर के लिए 3500 रुपए, रांची के लिए 4500 रुपए, कोलकाता के लिए 7200 रुपए और देवघर के लिए 3900 रुपए, इनोवा का दुर्गापुर के लिए 4000 रुपए, रांची के लिए 5000 रुपए, कोलकाता के लिए 8500 रुपए और देवघर के लिए 4500 रुपए किराया के अलावा नाइट अलांउस 300 रुपये तय किया गया है.
11.89 करोड़ भुगतान की हो जांच : रमेश राही
इस मामले में भाजपा नेता रमेश राही ने कहा सिंफर निदेशक ने गलत तरीक़े से संस्थान के 11.89 करोड़ रुपए खर्च कर दिया है. एजेंसी को किस रेट पर भुगतान हुआ यह जाचं का विषय है. एक वर्ष के लिए निकाली गई निविदा को बिना एग्रीमेंट के साढ़े चार वर्षों तक उपयोग में लाया गया और वाहन के किराया मद में करोड़ों रुपए का भुगतान हुआ. इससे सिंफर को 11.89 करोड़ का नुकसान हुआ है. पूरे मामले की जांच होनी चाहिए.
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