Lohardaga : वायु प्रदूषण और जलवायु संकट का सबसे बुरा असर बच्चों और महिलाओं पर पड़ता है. ऐसे में इससे लड़ने के लिए जिले की माताओं ने अब कमर कस लिया है. हाल ही में माताओं का एक दल, जिसका नाम वॉरियर मॉम है, का गठन किया गया है. वॉरियर मॉम का गठन देश के कई राज्यों में किया गया है. इसके तहत जिले की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी ये महिलाएं घर-घर जाकर लोगों को प्रदूषण और जलवायु संकट और उसके प्रभाव व बचाव के तौर-तरीकों से अवगत कराएंगी. लोहरदगा में आयोजित समारोह में लोहरदगा उपायुक्त दिलीप कुमार टोप्पो की मौजूदगी में इसकी शुरूआत की गई.
सही समय पर मातृ आंदोलन की शुरुआत हुई है
इस अवसर पर मुख्य अतिथि लोहरदगा उपायुक्त दिलीप कुमार टोप्पो ने कहा झारखंड और लोहरदगा के लिए सही समय पर मातृ आंदोलन की शुरुआत हुई है. क्योंकि राज्य सरकार जल – जंगल और ज़मीन, जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण, स्वास्थ्य और आजीविका पर पड़ने वाले उसके प्रभाव को लेकर बेहद संवेदनशील है. यह महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है. उन्होंने कहा कि 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी में मारे गये लोगों की याद में प्रति वर्ष 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है. स्वच्छ हवा के लिए पहाड़ों से लेकर जंगलों और नदियों, जैव विविधता को बचाना ज़रूरी है.
केवल 31.9% घरों में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल
जानकारी के मुताबिक, झारखंड के लिए हाल ही में जारी NFHS5 सर्वेक्षण में एक चिंताजनक तथ्य सामने आया है. राज्य में केवल 31.9% घरों में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल होता है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भयावह है. वहां निराशाजनक रूप से 19.5% घरों में ही इसका इस्तेमाल हो पा रहा है. यह राष्ट्रीय स्तर से काफी कम है, जहां 58.6% कुल घरों और 43.2% ग्रामीण परिवारों के पास खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल किया जा रहा है.
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माताओं को आगे आने की जरूरत
कार्यक्रम की आयोजक वॉरियर मॉम की सदस्य मनोरमा एक्का ने कहा कि वॉरियर मॉम्स एक राष्ट्रीय स्तर की माताओं का समूह है, जहां माताएं अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक साथ आई हैं. अगले दशक में जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण से लड़ना महत्वपूर्ण होने जा रहा है, क्योंकि यह हमारे भविष्य की दशा और दिशा को तय करेगा. इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए माताओं को आगे आने की जरूरत है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि हमारे पास घरों में बायोमास जलाने पर निर्भरता कम से कम हो, ताकि हम कई संक्रमणों और बीमारियों से खुद और अपने बच्चों को बचा सकें.
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