Hazaribagh : मांडू में सर्वे के दौरान की गई करोड़ों की जमीन की हेराफेरी का खुलासा होने के बाद राजस्व विभाग की जांच से बंदोबस्त कार्यालय में हड़कंप मच गया है. जिसे सर्वे की जिम्मेवारी दी गई थी, उसने ही हेराफेरी कर दी. हर कोई दबी जुबान से यह चर्चा भी कर रहा है. घोटाले की आंच जब राजधानी रांची तक पहुंची, तो जांच शुरू हुई. सहायक बंदोबस्त कार्यालय में उजरत भोगी अमीन और संबंधित कर्मियों द्वारा सर्वे के दौरान अपने नाम सरकारी जमीन कर लेने सहित आधा दर्जन बिंदुओं पर जांच शुरू हुई है.
जांच का जिम्मा अपर समाहर्ता राकेश रौशन को मिला और उनके साथ सहयोगी के रूप में रामगढ़ के कार्यपालक दंडाधिकारी पंकज कुमार को प्रतिनियुक्त किया गया है. अपर समाहर्ता ने जांच की शुरुआत रामगढ़ के कोतरे मौजा में बंदोबस्त कार्यालय से दो कर्मचारी राजेंद्र यादव और पप्पू यादव अपने नाम किए गए जमीन और वापसी से शुरू की है. इसमें आरोप है कि जमीन अपने नाम करने वाले कर्मियों पर प्राथमिकी और कार्रवाई की जगह उन्हें प्रमोशन देकर कार्यालय में उनका कद बढ़ा दिया गया.
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ऐसे किया गया फर्जीवाड़ा
बंदोबस्त कार्यालय से दो कर्मचारी राजेंद्र यादव और पप्पू यादव को जमीन का सर्वे करने अप्रैल 2021 में मांडू भेजा गया था. सर्वे के बाद ग्रामीणों ने रामगढ़ और हजारीबाग डीसी सहित अन्य पदाधिकारियों को ज्ञापन सौंप कर दोनों पर 35 करोड़ रुपए मूल्य की 28.43 एकड़ जमीन खुद और सगे-संबधियों के नाम करा लेने का आरोप लगाया था. बताया था कि यह गड़बड़ी कोरोना काल में की गई. ग्रामीणों ने जानकारी दी थी कि बंदोबस्त पदाधिकारी हजारीबाग के आदेश पर अप्रैल 2021 में कर्मचारी राजेंद्र यादव और पप्पू यादव के नेतृत्व में टीम जमीन का सर्वे करने रामगढ़ के मांडू अंचल स्थित कोतरे और पचंडा गई थी. सर्वे के दौरान दोनों ने गैर मजरुआ जमीन को अपने नाम करा लिया. इनमें राजेंद्र यादव ने 11.08 करोड़ मूल्य की नौ एकड़ और पप्पू गोप ने 23.92 करोड़ रुपए की 18 एकड़ जमीन अपने नाम करा ली. यह हेराफेरी सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी मनोज कुमार दीक्षित और पेशकार विनोद शाह के कार्यकाल में हुई. ग्रामीणों के आवेदन पर जब जांच हुई, तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ.
जीएम लैंड की खरीद-बिक्री और रजिस्ट्री पर है रोक
मांडू के कोतरे में बंदोबस्त कर्मचारियों ने जमीन का सर्वे किया था. यहां साविक खाता नंबर-1 व 6 की जमीन गैरमजरुआ है. इस प्रतिबंधित भूमि की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती. यह प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सरकार की संपत्ति है, परंतु कर्मचारियों ने जमीन माफियाओं से मिलकर प्रतिबंधित जमीन अपने नाम कर ली.
खोला जाना है कोल ब्लॉक, मुआवजे और नौकरी के लिए खेल
कोतरे-पचंडा के ग्रामीणों के अनुसार वहां कोल ब्लॉक का आवंटन हुआ है. यहां कोलियरी खुलने वाली है. बताया जा रहा है कि इसलिए जमीन की हेराफेरी कर अपने नाम चढ़ाया जा रहा है, ताकि कोल कंपनी से नौकरी और मुआवजा लिया जा सके.
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