Ranchi: मुसाबनी के सूर्याबेड़ा गांव के 52 परिवार तक आजादी के बाद पहली बार विकास की किरण पहुंची.सीएम हेमंत सोरेन की पहल के बाद प्रखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर घने जंगल और पहाड़ की तलहटी में बसे इस गांव में जीवन की मुलभूत सुविधाएं पहुंची. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद 16 दिसंबर 2020 को उपायुक्त गांव में जनता दरबार लगाकर सूर्याबेड़ा की समस्याओं से रूबरू हुए थे. उस वक्त ससमय विकास कार्यों को अमलीजामा पहनाने का आश्वासन ग्रामीणों को दिया गया था. जिसका फलाफल अब सामने है. सूर्यबेड़ा गांव में विकास योजनाओं को धरातल पर उतारना किसी चुनौती से कम नहीं था, लेकिन इस चुनौती को स्वीकार करते हुए जिला प्रशासन की पूरी टीम ने विकास कार्यों को धरातल पर उतारने में सफलता पाई.
बिजली आई तो चहकने लगा बचपन
सूर्याबेड़ा गांव शाम होने के बाद अंधकार में समा जाता था. ढिबरी-बाती ही रात में पढ़ाई करने के लिए बच्चों के पास एकमात्र विकल्प था. गांव में बिजली पहुंचने से बच्चे बल्ब की रोशनी में पढ़ाई कर पा रहे हैं. ग्रामीण कहते हैं कि बिजली पहुंचने से पहले शाम होने के बाद न तो कोई ग्रामीण गांव से निकलना चाहता था और ना ही कोई प्रखंड मुख्यालय से गांव की ओर आता था.
गांव में बिजली पहुंचने से पहले शाम ढलते ही सभी लोग अपने-अपने घरों में कैद होने को विवश थे, लेकिन अब स्ट्रीट लाइट लग जाने से बच्चे-बुजुर्ग सभी रात में भी घर के बाहर बैठकर एक दूसरे के साथ समय व्यतीत कर पाते हैं.
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कई योजनाओं का मिल रहा लाभ
प्रतिदिन 30 मानव दिवस का सृजन करते हुए ग्रामीणों को मनरेगा योजना में रोजगार उपलब्ध कराया गया है. गांव में सिंचाई कूप, चापाकल, विधायक निधि से 1500 फीट पीसीसी पथ का निमाण पूर्ण हो गया है. वहीं 500 फीट का पीसीसी पथ भी 15वें वित्त आयोग से स्वीकृत है. मनरेगा के तहत पशु शेड निर्माण का भी लाभ ग्रामीणों को दिया गया है.
सड़क भी की गई सुदृढ़
सूर्याबेड़ा गांव तक जानेवाली सड़क का निर्माण लगभग पूरा हो गया है. पेजयल की समस्या को देखते हुए डीप बोरिंग, चापाकल एवं सिंचाई कूप का निर्माण मनरेगा योजना के तहत कराया गया है. दीदीबाड़ी योजना के अन्तर्गत गांव में सब्जी की खेती भी कराई जा रही है. रोजगार के लिए सभी ग्रामीणों का मनरेगा के तहत जॉब कार्ड बनाया गया है, ताकि सभी को अपने पंचायत एवं गांव में ही रोजगार मिल सके.
बच्चों को शिक्षा से जोड़ा गया
सूर्याबेड़ा गांव के करीब 60 फीसदी बच्चों को कस्तूरबा विद्यालय में नामांकन कराते हुए उच्च शिक्षा से जोड़ा गया है. साथ ही वर्तमान में गांव में ही रहकर पढ़ाई करने वाले बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उनके द्वारा खेल प्रतियोगिता की शुरूआत की गई, जो समय-समय पर करायी जा रही है.
सूर्याबेड़ा गांव का विकास बनेगा रोल मॉडल- डीसी
जिले के उपायुक्त सूरज कुमार ने कहा है कि मुख्यमंत्री के आदेश से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों को प्राथमिकता के आधार पर विकास योजनाओं से आच्छादित करने के लिए जिला प्रशासन तत्पर है. हर क्षेत्र में विकास योजनाओं को क्रियान्वित किया जाएगा. सूर्याबेड़ा गांव का विकास सभी क्षेत्र के लिए रोल मॉडल होगा.
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