Galudih (Prakash Das) : उल्दा पंचायत के पुतरु गांव में वर्षों से आंगनबाड़ी केंद्र तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एक ही जर्जर भवन में संचालित किया जा रहा है. लेकिन इस ओर स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं है. सब कुछ जानने के बाद भी लापरवाही बरतते हुए अनदेखी कर रहे हैं. आंगनबाड़ी भवन की स्थिति इतनी दयनीय है यहां कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है क्योंकि भवन की खिड़कियां टूटी हुई है. रंग रोगन के अभाव में दीवार से प्लास्टर उखड़ रहे हैं भवन की फ्लोर गड्ढ़ों में बदल गये हैं. इस आंगनबाड़ी केंद्र में आस-पास से छोटे-छोटे बच्चे आते हैं.
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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में विभिन्न बीमारियों से ग्रसित आते हैं मरीज
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में विभिन्न बीमारियों से ग्रसित मरीज भी आते हैं. ऐसे में ग्रामीणों के बच्चे कितनी सुरक्षित हैं यह आप अंदाजा लगा सकते हैं. ऐसी स्थिति में यदि कोई बच्चा किसी मरीज से संक्रमित होगा तब इसका जिम्मेदार कौन होगा यह एक बड़ा सवाल है. मई 2015 से पहले आंगनवाड़ी किराये के मकान में चलता था. पुतरु आंगनवाड़ी केंद्र में चिकित्सक डॉ. रेशमी डी बाड़ा, एएनएम शिखा सामंत, सहिया पार्वती दास बैठती हैं. सेविका दिवाली सिंह और सहायिका भी इसी भवन में आंगनवाड़ी केन्द्र का काम करती है. यहां पीएचसी के लिए अपना भवन नहीं है. इस दिशा में कभी कोई ठोस विभागीय पहल नहीं हुई है.
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नहीं है पानी निकासी का कोई रास्ता
आंगनवाड़ी केंद्र में पीएचसी चलने से चिकित्सक और मरीज दोनों परेशान रहते है. इसके अलावा यहां और भी कई समस्याएं हैं. ग्रामीणों ने बताया कि आंगनबाड़ी के बाहर लगे चापाकल कई महीनों से खराब पड़े हुए हैं. बरसात के मौसम में आंगनबाड़ी केंद्र में पानी निकासी का कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण बाहर पैर रखना मुश्किल हो जाता है क्योंकि पानी की वजह पूरा रास्ता कीचड़मय हो जाता है.