Joydeep Kumar
Hazaribagh: प्रदेश की लचर शिक्षा व्यवस्था को शिक्षक ही गर्त में धकेलने में जुटे हैं. ताजा मामला हजारीबाग जिले के बरही प्रखंड का है. यहां रानीचुआं पंचायत के धोबघट प्राथमिक विद्यालय के दो शिक्षक 13 साल से स्कूल नहीं आए, लेकिन हाजिरी लगाते रहे. उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए अपनी जगह दिहाड़ी पर दो एजेंट तैनात किए थे, जिन्हें वह प्रतिदिन 175-175 रुपये देते थे. डीएसई के निरीक्षण में मामले का खुलासा हुआ तो दोनों को निलंबित कर दिया गया. निलंबित शिक्षकों में से एक प्रभारी प्रधानाध्यापक मनोज कुमार और दूसरा सहायक अध्यापक चंद्रशेखर कुमार शामिल है. ये दोनों लगभग 100 किमी दूर रामगढ़ जिले में अपने घर पर रहकर ही बायोमीट्रिक हाजिरी बनाते थे. ई-विद्या वाहिनी सॉफ्टवेयर से मामला पकड़ में आया.
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बता दें कि दोनों शिक्षक 1994 बैच के हैं और वर्ष 2009 से धोबघट में पदस्थापित हैं. वर्तमान में उनका वेतन प्रतिमाह लगभग 65000 रुपये के आसपास है. शिकायत मिलने पर डीएसई संतोष गुप्ता ने 14 सितंबर को स्कूल का निरीक्षण किया था. इस दौरान दोनों शिक्षक अनुपस्थित पाए गए. इस पर डीएसई ने दोनों को निलंबित कर दिया. डीएसई ने बताया कि मामले की जांच चल रही है. जांच के बाद विभागीय कार्रवाई की जाएगी. हालांकि डीएसई ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि यह कारनामा कितने वर्षों से चल रहा था. जांच के बाद ही अवधि की पुष्टि करने की बात कही है. वहीं रानीचुआं और धोबघट के ग्रामीण अभिभावकों और बच्चों का कहना है कि उन्होंने कभी उक्त दोनों शिक्षकों का चेहरा तक नहीं देखा है. निलंबन के दौरान प्रभारी प्रधानाध्यापक मनोज कुमार का मुख्यालय बड़कागांव और सहायक अध्यापक चंद्रशेखर कुमार का मुख्यालय पदमा रखा गया है.
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