Hazaribag : महिला डॉक्टर अमेरिका में रहती हैं. यहां न कोई उन्हें जानता और न ही पहचानता है. दरअसल वह डॉक्टर कभी विष्णुगढ़ गई ही नहीं. लेकिन उनके नाम का इस्तेमाल कर वर्षों से फर्जी क्लीनिक चलाया जा रहा है. हजारीबाग जिले में ऐसे एक-दो नहीं, करीब दो दर्जन से अधिक क्लीनिक अवैध तरीके से चलाए जा रहे हैं. इस संबंध में सीपीएम के जिला सचिव गणेश कुमार सीटे कहते हैं कि ऐसे क्लीनिक या नर्सिंग होम के संचालक क्लीनिकल एसटेब्लिसमेंट एक्ट 2015 की धज्जियां उड़ा रहे हैं. उन्हें नियमों अथवा निर्धारित मानदंड से कोई लेना-देना नहीं. न ही उन्हें किसी प्रकार की कार्रवाई का भय है. अगर भय होता, तो वे ऐसा करते ही नहीं. इससे स्पष्ट है कि स्वास्थ्य विभाग से ऐसे नर्सिंग होम के क्या तालमेल हैं.
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जिले में महज 131 नर्सिंग होम को ही लाइसेंस
सिविल सर्जन से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक हजारीबाग जिले में 131 नर्सिंग होम को ही लाइसेंस मिला है. इनमें बरही में सात, बड़कागांव व बरकट्ठा में चार, विष्णुगढ़ में पांच, चौपारण में तीन, इचाक में चार, कटकमसांडी में आठ, सदर में 11, चुरचू में तीन एवं शहर में 77 नर्सिंग होम को लाइसेंस मिले हैं. भले ही इन नर्सिंग होम को लाइसेंस मिल गए हैं, लेकिन ये नर्सिंग होम भी क्लीनिकल एसटेब्लिसमेंट एक्ट 2015 के निर्धारित मानदंडों पर पूरी तरह खरा नहीं उतरते.
झोलाछाप डॉक्टरों के पनपने की वजह
झोलाछाप डॉक्टरों के पनपने की एक बड़ी वजह इन अवैध नर्सिंग होम पर कार्रवाई का नहीं होना बताया जाता है. झोलाछाप डॉक्टर की बदौलत ही अवैध तरीके से नर्सिंग होम चल रहे हैं. आए दिन इन नर्सिंग होमों में मरीजों की जान जा रही है. शहर के कई नर्सिंग होम, बड़कागांव, चौपारण, विष्णुगढ़, कटकमसांडी आदि इलाकों में भी मरीज झोलाछाप डॉक्टर के इलाज में जान गंवा रहे हैं. चूंकि सरकारी डॉक्टरों की कमी है, ऐसे में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में लोगों का इलाज नहीं हो पाता. कई स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर भी समय पर नहीं मिलते. ऐसे में झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराना ग्रामीणों की विवशता बनी हुई है.
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सिविल सर्जन से की शिकायत, तो जांच कर रही समिति
सीपीएम के जिला सचिव गणेश कुमार सीटू ने 11 जून को सिविल सर्जन से शिकायत की, तो उन्होंने जांच समिति बना दी. यह समिति जिलेभर में संचालित अवैध नर्सिंग होम की जांच कर रही है. सीटू ने कहा कि अभी पूरी रिपोर्ट की प्रतीक्षा है.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
इस संबंध में सिविल सर्जन ने कहा कि क्लीनिकल एसटेब्लिसमेंट एक्ट 2015 के तहत ही नर्सिंग होम या क्लीनिक को लाइसेंस दिया जा रहा है. जो मानदंड पर खरा नहीं उतरते, उन्हें लाइसेंस निर्गत नहीं किया जाता है. ऐसे नर्सिंग होम पर विभाग की ओर से कार्रवाई की जा रही है.