Hazaribagh: हजारीबाग में डीएमएफटी फंड से बना ऑपरेशन थिएटर अब तक उपयोग में नहीं लाया जा सका है. लाखों की मशीन धूल फांक रही है. इस ऑपरेशन थिएटर का इस्तेमाल आकस्मिक सेवा के लिए होना था. तमाम सुविधाओं से लैस इस ऑपरेशन थिएटर को करोड़ों खर्च करने के बाद भी अभी तक चालू नहीं किया गया है. हजारीबाग सदर अस्पताल अब सूबे में मेडिकल कॉलेज के रूप में जाना जाता है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल को अपग्रेड करने के लिए प्रयास भी किए जा रहे हैं. पैसे भी खर्च किये जा रहे हैं. लेकिन मरीजों को सुविधा नहीं मिल रही है.
डीएमएफटी फंड से यहां लाखों रुपए की मशीन खरीदी गयी है. लेकिन ये उपकरण अब शोभा का वस्तु बनकर रह गयी है. अब इन मशीनों पर धूल जमी है. जिससे स्पष्ट होता है कि महीनों से कमरा बंद है. मशीन का उपयोग भी नहीं हो रहा है. हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के एक बड़े से कमरे को इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर के रूप में विकसित करने का कार्य शुरू किया गया था. जिसमें जिला प्रशासन द्वारा डीएमएफटी फंड की लाखों की राशि से ओटी के लिए संसाधन उपलब्ध कराया गए थे. इस ओटी में दो एसी लगाए गए थे. कैजुअल्टी ऑपरेशन थिएटर के रूप में विकसित कर इसे संसाधन से लैस किया गया.
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प्रबंधन की लापरवाही का नतीजा
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही और अनदेखी का नतीजा है कि पिछले करीब एक साल से बनकर तैयार इस ओटी में संसाधन धूल फांक रहा है. इसके दरवाजे पर ताला जड़ा हुआ है. एचएमसीएच के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. विनोद कुमार भी स्वीकार करते हैं कि अगर कैजुअल्टी ऑपरेशन थिएटर काम करता तो मरीजों को भी सुविधा होती. डॉक्टर भी अच्छे से काम कर पाते. उन्होंने आश्वासन दिया कि दस दिनों के अंदर कैजुअल्टी ऑपरेशन थिएटर को शुरू किया जाएगा. ताकि बेहतर स्वास्थ्य लाभ मरीजों को दिया जा सके.
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