Ranchi : 36वें नेत्रदान पखवाड़ा 25 अगस्त से 8 सितंबर तक आयोजित किया गया. नेत्रदान करने वाले नेत्रदाता के परिवार को राजकीय नेत्र अधिकोष रिम्स की ओर से सम्मानित किया गया. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने रिम्स के न्यू ट्रॉमा सेंटर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान परिवार के लोगों को सम्मानित किया. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के कारण 80% लोगों के नेत्र विकार से ग्रस्त होने की जानकारी दी है, जिसे दूर करने के लिए नेत्रदान सबसे जरूरी है.
कॉर्निया ट्रांसप्लांट की विधि को बेहतर बनाने की जरूरत
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि देशभर में 109 आई बैंक है, जबकि झारखंड में पांच आई बैंक हैं. कॉर्निया ट्रांसप्लांट की व्यवस्था को बेहतर बनाने की जरूरत है. इसके लिए अन्य आई बैंक से सामंजस्य स्थापित करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था पर काम किया जा रहा है.
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नेत्रदाता के परिवार के हौसले का सम्मान जरूरी
वही रिम्स के निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद ने कहा कि नेत्रदाता परिवारों को सम्मानित कर सुखद अनुभूति मिलती है. ऐसे परिवार के लोगों को सम्मानित करना जरूरी है, ताकि लोगों के बीच नेत्रदान के प्रति बेहतर संदेश जाए. आज नेत्रदाता के परिजनों की आंखों में आंसू आ गए, लेकिन उनके हौसले के कारण ही आज कई नेत्रहीन लोग दुनिया देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश में शरीर दान, अंग दान के लिए लोगों को आगे आना होगा. दानदाता और फॉरेंसिक मेडिकल डिपार्टमेंट के साथ अन्य कर्मियों के तालमेल का ही यह परिणाम है कि आज हम नेत्र प्रत्यारोपण में सफलता की ओर बढ़ रहे हैं.
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राज्य के पांच प्रमंडल में होगी आई बैंक की स्थापना- मार्शल आईंद
वहीं स्वास्थ्य सेवाओं के प्रमुख मार्शल आइंद ने कहा कि नेत्र प्रत्यारोपण में रिम्स में बेहतर काम हुआ है. नेत्रदान से किसी को रोशनी मिलती है, तो इससे बड़ा काम और कोई नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में राज्य के 5 प्रमंडल में आई बैंक की शुरुआत करने को लेकर काम किया जाएगा.
अपने परिजनों को खोने का गम के बीच नेत्रदान करने का फैसला साहसिक- डॉ विवेक कश्यप
वहीं, रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप ने कहा कि अपने परिवार के सदस्यों को खोने के गम के बावजूद दुख की घड़ी में नेत्रदान करना एक साहसिक फैसला है. उन्होंने कहा कि नेत्रदान को लेकर सामाजिक भ्रांतियां को दूर करने की जरूरत है. डॉ कश्यप ने कहा कि एक मृत व्यक्ति के कॉर्निया से दो लोगों की जिंदगी रौशन हो सकती है. कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए मृत्यु का 6 घंटा स्वर्णिम समय होता है.
प्रसव के दौरान पत्नी की हुई थी मौत, किया था नेत्रदान, बच्ची के साथ पति संतोष कार्यक्रम में हुए शामिल
वहीं, रांची की धुर्वा की रहने वाली 38 वर्षीय कुसुम दीक्षित की प्रसव के दौरान शहर के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई थी. उनके पति संतोष दीक्षित ने प्रिम्स आई बैंक को कॉल कर नेत्रदान की इच्छा जतायी. बुधवार को अपनी तीन साल की बच्ची को गोद में लेकर संतोष दीक्षित इस कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान संतोष ने कहा कि जरूरतमंद लोगों को कॉर्निया मिले, इसलिए अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद नेत्रदान करने का फैसला किया. हालांकि उन्होंने अफसोस जताया कि व्यवस्था थोड़ी लचर होने के कारण मेरी पत्नी का एक कॉर्निया का ही इस्तेमाल हुआ और एक खराब हो गया. उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से मांग रखी कि इस व्यवस्था को ठीक करने की जरूरत है.
मृत्यु के बाद इन्होंने किया नेत्रदान
सुजाता सिंह, विनीता कुमारी, अशोक केरकेट्टा, विक्की लोहरा, जितेंद्र सिंह, गुंजन देवी, सुसेन करमाली, गंगा उरांव, लक्ष्मण महतो, डमरा उरांव, छोटू कुमार, कृष्णा मेहरा, बुधराम महतो, सुखदेव महतो, गौतम मछुआ, महेंद्र रविदास, कुसुम दीक्षित, रामेश्वर महतो, मन्नू लकड़ा, बैजनाथ ग्वाला.
ये रहे मौजूद
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, निदेशक रिम्स डॉ कामेश्वर प्रसाद, चिकित्सा अधीक्षक रिम्स डॉ विवेक कश्यप, नेत्र विभाग के एचओडी डॉ राजीव गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राहुल प्रसाद के अलावा अन्य कर्मचारी मौजूद रहे.