- लोहरदगा माइंस क्षेत्र में जूट बैग का वितरण
- पर्यावरण संरक्षण के लिए हिंडाल्को क्षेत्र में दे रहा अहम योगदान
Ranchi: आदित्य बिड़ला समूह की मेटल फ्लैगशिप कंपनी हिंडाल्को ने सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग के कुप्रभावों को लेकर लोगों को जागरूक करने की मुहिम शुरू की है. इसके पहले चरण में हिंडाल्को बॉक्साइट माइंस डिवीजन के लोहरदगा माइंस क्षेत्र में स्थानीय लोगों के बीच मुफ़्त जूट की थैलियों का वितरण किया गया. कोशिश यह की जा रही है कि लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाए, ताकि लोग स्वयं इसे पूरी तरह त्यागने के लिए प्रेरित हों.
पहले चरण में लोहरदगा माइंस क्षेत्र के मैना बगीचा, शुक्र बाजार (पतरा टोली), गुमला, किस्को, जामुनटोली गांव के पास बुध बाजार, नेतरहाट में टूटुआ मोड़ और इसके अलावा शेरेंगदाग और गुरदरी गांवों में साप्ताहिक बाजार में जूट बैग का वितरण किया जा चुका है. इस कार्यक्रम के पहले चरण में वितरित बैगों की संख्या प्रति स्थान लगभग 1000 है. अपने पहले चरण में पहल की भारी सफलता के बाद, कंपनी अपनी पर्यावरण, सीएसआर और मानव संसाधन टीम के साथ चरण -2 को जल्द से जल्द शुरू करने की योजना बना रही है.
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इस बारे में जानकारी देते हुए हिंडाल्को बॉक्साइट डिविजन के प्रमुख बिजेश झा ने बताया कि हिंडाल्को पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के प्रति बेहद संजीदगी से काम कर रहा है. फरवरी 2022 में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022 के तहत एकल-उपयोग प्लास्टिक प्रतिबंध पर एक दिशानिर्देश जारी किया. नए दिशा-निर्देश के अनुसार, प्लास्टिक प्रदूषण को मात देने के लिए स्थानीय समुदाय में एकल-उपयोग प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. इसके साथ ही प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे को अब एकत्र और प्रबंधित किया जाएगा. यह संशोधन 1 जुलाई, 2022से प्रभावी हुआ. इसी दिशा में हिंडाल्को ने अब गांवों में स्थानीय लोगों के बीच जूट बैग वितरित करके लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए “प्लास्टिक हटाओ दुनिया बचाओ” नामक एक पहल करके एक कदम आगे बढ़ाया है. हम लगातार इस दिशा में लोगों को जागरूक करते रहेंगे.
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बताते चलें कि हिंडाल्को द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने माइंस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं. बगड़ू माइंस में बायो-पार्क और बांस मंडप का निर्माण पहले ही कर लिया है. यह भारत में अपनी तरह का एक है. बगड़ू खदान में बायो पार्क बायो-पार्क का निर्माण करके पर्यावरण को संतुलित रखने का प्रयास किया गया है. साथ ही एल्युमिना निष्कर्षण के दौरान उत्पन्न संपूर्ण लाल मिट्टी का उपयोग सीमेंट उद्योगों में पर्यावरणीय खतरों को संतुलित करने और कम करने के लिए सतत विकास के लिए किया जा रहा है. यह वेस्ट से वेल्थ तक की अवधारणा है.